केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव केरल विधानसभा में हुआ पारित
देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध देखने को मिल रहा है. केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.
इस बीच अब केरल सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि किसानों की वास्तविक चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए और केंद्र को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए.
किसानों की ओर से नए कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है. वहीं कई राजनीतिक पार्टियां भी इन कानूनों का विरोध कर रही हैं. इस बीच केरल विधानसभा में एलडीएफ और यूडीएफ दोनों पार्टियों के विधायकों के समर्थन के साथ तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया है.
केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने एक घंटे के विशेष सत्र में केवल किसानों के मुद्दे पर चर्चा की और विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया. इन कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से दिल्ली बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं और पिछले हटने का नाम नहीं ले रहे हैं.
इस दौरान बीजेपी विधायक ओलानचेरी राजगोपाल ने प्रस्ताव का विरोध किया. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने इसके खिलाफ मतदान किया था या नहीं.
Kerala Assembly passes resolution against the three farm laws brought by the Central Government. The resolution says, 'farmers' genuine concerns should be addressed and the Centre should withdraw all three farm laws.' pic.twitter.com/5fTbmobaAz
— ANI (@ANI) December 31, 2020
नए कानूनों को तत्काल निरस्त करने की मांग करते हुए प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए सीएम विजयन ने कहा कि देश अब किसानों के जरिए किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का गवाह है.
उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में पारित कृषि कानून न केवल किसान विरोधी है, बल्कि कॉर्पोरेट समर्थक भी हैं. साथ ही अब तक विरोध के दौरान कम से कम 32 किसानों की मौत हो गई है. इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव ला चुके हैं.
वहीं केरल के सीएम विजयन ने कहा जब लोगों को अपने जीवन को प्रभावित करने वाले कुछ कानूनों के बारे में चिंता होती है, तो विधानसभाओं की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वे एक गंभीर दृष्टिकोण रखें
उन्होंने कहा कि कृषि देश की संस्कृति का हिस्सा है केंद्र ऐसे समय में कानून लेकर आया, जब कृषि क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा था. उन्होंने कहा कि इससे किसान चिंतित थे कि वे वर्तमान समर्थन मूल्य को भी खो देंगे.