बिहार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अब पक्षियों की रोचक दुनिया को नजदीक से जानने का मौका मिलेगा। इसके लिए सरकार राजधानी पटना में एक इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाने जा रही है। यहां बच्चों को पक्षियों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। शुरुआत में इसका लाभ राजधानी पटना के निजी और सरकारी स्कूल के बच्चों को मिलेगा।
चारों तरफ हरियाली से घिरे सचिवालय स्थित राजधानी जलाशय में बच्चों को पक्षियों की दुनिया के बारे में बताया जाएगा। यहां पर हर दिन 200 बच्चों की क्लास लगेगी। सिर्फ पटना ही नहीं बल्कि राज्य के हर जिले से बच्चे यहां आएंगे और वो प्रवासी पक्षियों की दुनिया के बारे में जान सकेंगे। पक्षी विशेषज्ञ राजधानी जलाशय के किनारे बच्चों की क्लास लेंगे।
सात एकड़ में फैला है जलाशय
राजधानी जलाशय लगभग सात एकड़ में फैला है। पहले यह जलाशय मत्स्य विभाग के अधीन था। यहां पर मछली पालन का काम किया जाता था, लेकिन अब इसका प्रबंधन वन विभाग द्वारा किया जा रहा है। इस तालाब में दो छोटे-छोटे टापू बनाए गए हैं।
जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र
राजधानी जलाशय में बच्चे न केवल पक्षियों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे, बल्कि जैव विविधता के बारे में भी जान सकेंगे। यहां पर पुराने एवं सूखे पेड़ को गिरने पर उसे काटा नहीं जाएगा, बल्कि उसे इसी तरह छोड़ दिया जाएगा। पक्षी उसी पर आराम करेंगे।
अगस्त से शुरू हो जाता पक्षियों का आगमन
जलाशय में इस वर्ष अगस्त से ही पक्षियों का आगमन शुरू हो गया था। सितंबर से नवंबर तक यहां पर काफी संख्या में पक्षी आते हैं। कई पक्षी दिसंबर में भी यहां आए हैं। जलाशय के रेंजर अरविंद कुमार वर्मा कहते हैं, यहां पर न केवल साइबेरियाई पक्षी आ रहे हैं बल्कि अफ्रीकी एवं यूरोपीय देशों से भी काफी संख्या में पक्षी आ रहे हैं। देशी पक्षियों की भी यहां भरमार है।
इंटरप्रिटेशन सेंटर में मिलेंगी ये सुविधाएं
राजधानी जलाशय में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से इंटरप्रिटेशन सेंटर (प्रकृति व्याख्या केंद्र) बनवाया जाएगा। इसे सचिवालय की पुरानी कैंटीन में निर्मित कराया जाएगा। इस सेंटर में बच्चों को ईको सिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र), जंगल व जीव-जंतुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इसके साथ बच्चों को प्राकृतिक वन और आर्द्रभूमि के स्वरूप की जानकारी देकर पशु-पक्षियों के आवास और जीवन के प्रति संवदेनशील बनाया जाएगा। राजधानी जलाशय में लगभग 35 प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षी पाए जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से लेसर व्हिसलिंग डक, कॉमन मुरहेन, कॉमन कूट, गडवाल, कॉम्ब डक इत्यादि हैं।
दूरबीन से देख सकेंगे पक्षी, पेयजल व शौचालय भी होगा
जलाशय में आने वाले प्रवासी पक्षियों को बचे नजदीक से देख सकें, इसके लिए एक गोलाकार प्लेटफाॅर्म तैयार कराया गया है। इस पर खड़े होकर बच्चे दूरबीन से पक्षियों को बेहद नजदीक से देख सकेंगे। यहां आने वाले बच्चों को पेयजल व शौचालय की भी व्यवस्था सुलभ होगी। कई जगहों पर बैठने के लिए बेंच भी लगाई गई हैं, जिससे बच्चे आराम से बैठकर प्राकृतिक जंगली वातावरण का अहसास कर सकें।
दिखता है जंगल का स्वरूप, मुख्यमंत्री ने किया था नामकरण
तालाब के चारों ओर प्राकृतिक रूप से उगे पौधों के कारण यहां जंगल का स्वरूप दिखाई देता है। इसमें लगभग 73 प्रजातियों के पेड़-पौधे उपलब्ध हैं। इसमें मुख्य रूप से बरगद, सेमल, जंगली जलेबी, गूलर इत्यादि के पौधे हैं। बड़े पौधों के अलावा गुडुची, पुन्नारवा इत्यादि के औषधीय पौधे भी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल 29 दिसंबर को तालाब के भ्रमण के दौरान सचिवालय तालाब का नामकरण राजधानी जलाशय के रूप में किया था।
10 से अधिक देशों के पक्षियों का यहां कर सकते हैं दीदार
पटना वन प्रमंडल के डीएफओ शशिकांत कहते हैं, राजधानी जलाशय में दुनिया के विभिन्न देशों के पक्षी आने लगे हैं। पहली बार इस वर्ष जलाशय में 10 से अधिक देशों के पक्षियों को एक साथ देखा गया। यह राज्य का अनोखा जलाशय है, जहां पक्षियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। यहां पर पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण देने की कोशिश की जा रही है। प्राकृतिक वातावरण मिलने के कारण ही यहां पर पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राजधानी के बीचोबीच स्थित होने के बाद भी यहां का वातावरण एकदम प्राकृतिक है।