महाराष्ट्र: मेडिकल छात्रों के अभिभावकों ने संस्थानोंद्वारा फीस मांगे जाने का किया विरोध
महाराष्ट्र के कई मेडिकल छात्रों के अभिभावकों ने मेडिकल संस्थानोंद्वारा फीस मांगे जाने का विरोध किया है। विरोध करते हुए अभिभावकों ने कहा कि, ‘हॉस्टल और मेस की सुविधाओं के लिए पूरी फीस का भुगतान क्यों करें जबकि पिछले साल लॉकडाउन के कारण इन सुविधाओं का इस्तेमाल किया ही नहीं गया।’ जी दरअसल पुणे स्थित प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के एक छात्र के माता-पिता ने हाल ही में कहा कि, ‘मार्च 2020 से मेरा बेटा घर से ही पढ़ाई कर रहा है। मई के बाद से दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष के मेडिकल छात्र कोविड ड्यूटी पर थे, इसलिए वो हॉस्टल में रहे ही नहीं, तो फिर हम उन सेवाओं के लिए भुगतान क्यों करें, जिनका इस्तेमाल किया ही नहीं गया?’।
इसके अलावा भी कुछ अभिभावकों ने कॉलेज प्रबंधन के सामने अपने सवालों को उजागर किया। वहीँ कुछ संस्थानों ने फीस में छूट की पेशकश की है तो कुछ ने किश्तों में भुगतान करने का विकल्प दिया है। हाल ही में नासिक स्थित प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के एक छात्र के माता-पिता ने कहा, ‘हॉस्टल और मेस की फीस लगभग 1।45 लाख रुपये प्रति वर्ष है। हमारी शिकायतों के बाद संस्थान ने फीस में 15,000 रुपये की छूट देने पर सहमति व्यक्त की है, हालांकि ये हमारे लिए पर्याप्त नहीं है’।
इसके अलावा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के निदेशक का कहना है, ‘मेडिकल संस्थानों में लॉकडाउन के दौरान भी खर्चा होता रहा। किसी भी कर्मचारी को नौकरी से निकाला नहीं गया और न ही उनकी सैलरी काटी गई। क्योंकि हमारा स्टाफ जहां एक ओर ऑनलाइन क्लासेस ले रहा था, वहीं दूसरी ओर कोविड-19 अस्पतालों का भी संचालन कर रहा था। हमें अपने कर्मचारियों को सैलरी देने और संस्थान के रखरखाव को बनाए रखने के लिए फीस की जरूरत पड़ती है’।
इसी के साथ कार्यकर्ता और एक मेडिकल छात्र की मां सुधा शेनॉय ने कहा, ‘पूरी फीस की मांग से सभी माता-पिता परेशान नहीं हैं। लगभग सभी राज्य के कॉलेजों ने 2020 में फीस की मांगी की थी और उन्होंने अभिभावकों को फीस देने के लिए पर्याप्त समय भी दिया। संस्थानों द्वारा यह कहा गया था कि स्टाफ को सैलरी देने और हॉस्टल के रखरखाव का खर्च उठाने के लिए फीस की जरूरत है’।