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यूपी विधान परिषद चुनाव की 11वीं सीट पर दांव आजमाने की योजना में लगी बीजेपी

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटोंं का बुधवार को निर्वाचन कार्यक्रम जारी होते ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ ही समाजवादी पार्टी में भी अब संभावित उम्मीदवारों की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं। विधायकों की संख्या के हिसाब से भाजपा के दस प्रत्याशियों की जीत तय है। विधान परिषद चुनाव में सर्वाधिक लाभ भाजपा को होगा। इसी कारण वह 12 में से दस सीट पर निश्चित जीत के साथ ही 11वीं सीट पर दांव आजमाने की योजना में लगी है।

विधायकों की संख्या व मतदान प्रक्रिया के आधार पर उच्च सदन में भारतीय जनता पार्टी 10 और समाजवादी पार्टी एक सीट जीत सकती है। ऐसे में बचे विधायकों को लेकर भाजपा सहयोगी दल की मदद से 11वें प्रत्यशी पर दांव खेल सकती है। अब सबकी निगाहें 12वें नाम पर है। इसके साथ ही जोड़तोड़ की राजनीति के बूते समाजवादी पार्टी अपना दूसरा उम्मीदवार जिता सकती है। माना जा रहा है कि भाजपा इनको मौका देने के मूड में नहीं है। अगर भाजपा ने 11वां कैंडिडेट उतारा या फिर बसपा का उम्मीदवार मैदान में आया तो 12वीं सीट की लड़ाई दिलचस्प हो सकती है।

12वें सदस्य के लिए होगा जोड़-तोड़

विधान परिषद में 12 में से दस को को जिताने के बाद भारतीय जनता पार्टी के पास 11वें उम्मीदवार को जिताने भर के वोट नहीं बचेंगे वहीं, समाजवादी पार्टी भी बिना जोड़तोड़ दूसरा कैंडिडेट नहीं जिता पाएगी। भाजपा व सपा दोनों की कोशिश अपने समर्थन से कैंडिडेट जिताने की होगी। अब बसपा अपना कैंडिडेट उतारेगी इसकी कम ही संभावना है। विधानसभा सदस्यों की विधायकों की संख्या के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के दस प्रत्याशी निर्वाचित होने तय हैं। समाजवादी पार्टी के केवल एक उम्मीदवार की जीत को पक्का माना जा रहा है। प्रदेश में तीसरे बड़े दल यानी बसपा का अपने विधायकों के बल पर किसी नेता को सदन में भेजना आसान नहीं है। ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी अपनी 11वीं सीट पर जीत के लिए जोर लगा सकता है। भाजपा को अपना दल के साथ ही निर्दलीय तथा अन्य दलों से कुछ सहयोग मिलने की संभावना है।

भाजपा की चार व सपा की पांच सीट होंगी खाली

भारतीय जनता पार्टी की चार सीटें खाली हो रही हैं। उसकी 12 में से 10 सीटों पर जीत पक्की है। बसपा के हाथ से तीन सीटें जा रही हैं, लेकिन वह एक भी जीतने की स्थिति में नहीं है। समाजवादी पार्टी पांच के बदले सिर्फ एक सीट निश्चित जीत सकती है। विधान परिषद की जो 12 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें पांच समाजवादी पार्टी की, चार भारतीय जनता पार्टी और दो बहुजन समाज पार्टी की हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी की भी सीट रिक्त है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से उच्च सदन गये थे, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद दल-बदल कानून के तहत उनकी विधान परिषद सदस्यता निरस्त कर दी गई थी।

28 को होने वाले मतदान की तैयारी पूरी

निर्वाचन आयोग ने 28 जनवरी को होने वाले मतदान को लेकर अपनी तैयारी पूरी पर ली है। प्रदेश में 12 सीट पर होने वाले विधान परिषद के चुनाव की अधिसूचना 11 जनवरी को जारी की जाएगी। इसमें 18 जनवरी तक नामांकन होगा। नामांकन पत्रों की जांच 19 को होगी। इसके बाद नाम वापसी की अंतिम तिथि 21 जनवरी है।

एक सीट के लिए 34 विधायकों का वोट जरूरी

उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों रिक्त हो रही हैं। कुल रिक्त सीटों की संख्या को कुल विधायकों की संख्या से भाग करने पर आये भागफल की संख्या के बराबर एक विधान परिषद सदस्य को वोट चाहिए। उत्तर प्रदेश में कुल 402 विधान सभा सदस्य हैं और 12 विधान परिषद सीटों पर चुनाव हैं। ऐसे में 402 को 12 से भाग देने पर 33.5 आता है। इस प्रकार से यूपी की एक सीट के लिए करीब 34 विधायकों के वोट चाहिए।

भाजपा की बैठक में 24 नामों पर विचार, केंद्र समिति फाइनल करेगी नाम

भाजपा के प्रभारी राधा मोहन सिंह लखनऊ में बीते दिनों बैठक में विधान परिषद के संभावित उम्मीदवारों के नामों पर विचार कर चुके हैं। इनकी सूची को फाइनल करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव ङ्क्षसह को केंद्रीय नेतृत्व से वार्ता करने को अधिकृत किया गया है। लखनऊ में चुनाव समिति की बैठक में जातीय व क्षेत्रीय आधार पर करीब दो दर्जन नामों पर विचार किया गया। सभी नामों को केंद्रीय चुनाव समिति के पास भेजने का निर्णय लिया गया। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और लक्ष्मण आचार्य की विधानपरिषद में वापसी तय है। इसके साथ यह भी कहा जा रहा है कि गत दिनों हुए राज्यसभा चुनाव की तरह भाजपा की ओर से कई चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं।

समाजवादी पार्टी के जिन छह सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी को पूरा हो रहा है। उसमें सभापति रमेश यादव के अलावा दलनेता अहमद हसन भी हैं। ऐसे में पार्टी अहमद हसन को फिर से विधान परिषद भेजा सकता है, ताकि मुस्लिम कोटा पूरा सके। गत राज्यसभा चुनाव में निर्दल उम्मीदवार उतारने का दांव कामयाब नहीं होने के कारण अब समाजवादी पार्टी की तरफ से विधान परिषद चुनाव में दूसरा प्रत्याशी उतारने की संभावना कम है।

30 जनवरी तक है इनका कार्यकाल

1. स्वतंत्र देव सिंह- भारतीय जनता पार्टी

2. साहब सिंह सैनी- समाजवादी पार्टी

3. डॉ. दिनेश शर्मा- भारतीय जनता पार्टी

4. लक्ष्मण प्रसाद आचार्य- भारतीय जनता पार्टी

5. अहमद हसन- समाजवादी पार्टी

6. आशु मलिक- समाजवादी पार्टी

7. रमेश यादव- समाजवादी पार्टी

8. राम जतन- समाजवादी पार्टी

9. वीरेंद्र सिंह- समाजवादी पार्टी

10. धर्मवीर सिंह अशोक- बहुजन समाज पार्टी

11. प्रदीप कुमार जाटव- बहुजन समाज पार्टी

12. नसीमुद्दीन सिद्दीकी- (दलबदल कानून के तहत सदस्यता छीन ली गई थी)।

विधान परिषद में सौ सदस्य

उत्तर प्रदेश में कुल 100 विधान परिषद सदस्य हैं। इनमें से 38 सदस्यों का विधानसभा सदस्य और 36 सदस्यों का निर्वाचन स्थानीय निकायों से होता है। आठ सदस्यों का चुनाव शिक्षक और आठ सदस्य स्नातक सदस्य चुनते हैं। दस विधान परिषद सदस्य मनोनीत किए जाते हैं। इन सभी सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होता है।

 

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