चाणक्य ने मनुष्य के जीवन से जुड़ी उलझनों को सुलझाने के लिए बताई ये निति
चाणक्य ने मनुष्य के जीवन से जुड़ी उलझनों को सुलझाने के लिए कई नीतियों का बखान किया है. वो बताते हैं कि किस प्रकार के व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए. साथ ही वो ये भी बताते हैं कि मनुष्य को सफलता प्राप्त करने के लिए किस मोह का त्याग करना चाहिए. आइए जानते हैं इनके बारे में…
गृहासक्तस्य नो विद्या न दया मांसभोजिनः।
द्रव्य लुब्धस्य नो सत्यं न स्त्रैणस्य पवित्रता॥
चाणक्य के मुताबिक घर के मोह में उलझकर रहने वाले लोग कभी सफल नहीं हो पाते. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति घर से लगाव को परे रखकर अपने उन्नति के मार्ग को तलाशना चाहिए.
उनकी यह बात छात्रों पर भी लागू होती है. वो कहते हैं कि छात्रों को घर के मामलों से दूर रहना चाहिए. जरूरत पड़े तो उन्हें घर छोड़कर किसी दूसरे जगह पर जाने से पीछे नहीं हटना चाहिए.
आचार्य कहते हैं कि मांसाहारी खाना खाने वाले से दया भावना की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. वो कहते हैं कि मांस तामसिक भोजन है और इससे मनुष्य के अंदर तमोगुण की बढ़ोतरी होती है.
धन के लोभी यानी लालची इंसान पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए. ऐसे लोग हमेशा अपने फायदे की सोचते हैं और मौका मिलते ही अपने फायदे के लिए आपका नुकसान करने से पीछे नहीं हटते. उनका मुख्य मकसद पैसा जमा करना है फिर चाहे उसके लिए उन्हें रास्ता कोई भी क्यों न अपनाना पड़े.
श्लोक के आखिरी में चाणक्य कहते हैं कि व्याभिचारी में कभी शुद्धता नहीं हो सकती. वो कहते हैं कि गलत आचरण रखने वाला व्यक्ति शरीर से ही नहीं बल्कि मन से भी अपवित्र होता है. इसलिए ऐसे व्यक्ति पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए और जितना हो सके दूरी बनाकर ही रखना चाहिए.