MP में अब जबरन धर्मांतरण कराने पर मिलेगी सख्त सजा, राज्यपाल ने अध्यादेश को दी मंजूरी
मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को कथित लव जिहाद के खिलाफ एक अध्यादेश को स्वीकृति प्रदान कर दी। इसमें शादी की आड़ में धोखाधड़ी कर धर्मांतरण कराने पर सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। मध्यप्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 में कुछ मामलों में दस साल की जेल के दंड का प्रावधान किया गया है। इसमें कुछ प्रावधान उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश के समान हैं, जो धोखाधड़ी से धर्मांतरण के खिलाफ हैं। प्रदेश के गृह विभाग के अपर सचिव राजेश राजौरा ने कहा कि राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह अध्यादेश राजपत्र अधिसूचना में प्रकाशित किया गया है।
इस अधिसूचना के साथ ही यह अध्यादेश कानून के तौर पर प्रदेश में लागू हो गया है। इसके अनुसार, अब जबरन, भयपूर्वक, डरा- धमका कर, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवा कर विवाह करने और करवाने वाले व्यक्ति,संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था की शिकायत प्राप्त होते ही तत्काल अध्यादेश में किए गए प्रावधानों के मुताबिक संबंधितों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
इस कानून के जरिए शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। मध्यप्रदेश के इस कानून में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 की तरह एक और समानता है कि इस कानून का उल्लंघन करने वाली किसी भी शादी को शून्य माना जाएगा।
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने अध्यादेश का रास्ता इसलिए अपनाया, क्योंकि कोविड-19 की मौजूदा स्थिति के चलते 28 दिसंबर से प्रस्तावित रहे प्रदेश विधानसभा के तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र के स्थगित हो जाने से सदन में इस संबंध में विधेयक पेश नहीं किया जा सका। राज्य मंत्रिमंडल ने 29 दिसंबर को हुई बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी।
सजा और जुर्माने का प्रावधान
इस कानून में अपना धर्म छिपाकर किए गए विवाह के मामलों में तीन से 10 साल की सजा और 50,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और नाबालिगों के धर्मांतरण से जुड़े मामलों में दो से 10 साल की कैद और 50,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसमें धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति के माता-पिता, कानूनी अभिभावक या संरक्षक और भाई-बहन इस संबंध में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके साथ ही इसमें धर्मांतरण के इच्छुक लोगों को 60 दिन पहले जिला प्रशासन के पास आवेदन करने की जरूरत होगी। पीड़ित महिला कानून के तहत रखरखाव भत्ता पाने की हकदार होगी। ऐसी शादियों से पैदा हुए बच्चे पिता की संपत्ति के हकदार होंगे।