नाबालिग लड़की की शादी करने के मामलें में हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार जारी किया नोटिस
महज 16 साल की उम्र में नाबालिग लड़की की शादी के खिलाफ दायर याचिका को लेकर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और अन्य संबंधित लोगों को नोटिस जारी किया है। याचिका में मांग की गई है कि नाबालिग लड़की की शादी महज 16 साल की उम्र में हुई है। ऐसे में इसे शादी का अमान्य करार दिया जाए। याचिका को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के नोटिस पर दिल्ली सरकार के साथ अन्य संबंधित पक्ष को भी जवाब देना है। इससे पहले एक अन्य मामले में दिल्ली हाई कोर्ट नाबालिग की शादी के मद्देनजर वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बताया था।
दिल्ली हाई कोर्ट की तत्काली कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरीशंकर की पीठ ने मामले में नियुक्त न्यायमित्र को उनकी स्वतंत्र राय देने को कहा था। न्यायमित्र ने कोर्ट से कहा था कि वह केंद्र व याची की पूरी बहस को सुनने के बाद अपनी राय देंगे। इस पर अब भी सुनवाई जारी है। याचिकाकर्ता के वकील ने 2005 राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का हवाला देते हुए वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की क्षेणी में लाने की मांग की थी।
उधर, इस मामले में पूर्व में केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपने जवाब में कहा था कि अगर वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखा गया तो वैवाहिक जीवन की बुनियाद हिल जाएगी और यह नियम भविष्य में पतियों के शोषण का एक आसान हथियार बन जाएगा। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने यह तर्क भी दिया था कि विवाह किसी भी शख्स को यह लाइसेंस नहीं देता है कि वह अपनी पत्नी से जबरन संबंध स्थापित करे। हालांकि, इसमें शादी की सफलता और असफलता में एक तर्क सफल शारीरिक संबंध को भी माना जाता है। इस पर पर कोर्ट कई बार सहमति जता चुका है।
हाई कोर्ट में इस बाबत दायर कई याचिका में कहा गया था कि आइपीसी के उस प्रावधान को खत्म किया जाए जिसमें 15 साल से ज्यादा उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा जबरन संबंध दुष्कर्म के दायरे में नहीं होगा। दरअसल याची का कहना था कि आइपीसी की धारा-375 में दुष्कर्म को परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक, अगर लड़की की उम्र 15 साल से ज्यादा है और वह किसी की पत्नी है और उसके साथ पति जबरन संबंध बनाता है तो वह दुष्कर्म नहीं माना जाएगा।