लखनऊ नगर निगम ने कचरा उठा कर कमाए इतने करोड़ रुपये। ..
संसाधन बढ़े तो कचरे की चमक दिखने लगी। घर से निकला कचरा अब नगर निगम की आय बढ़ा रहा है। तीन माह में नगर निगम को घर-घर से कूड़ा लेने पर 3.30 करोड़ रुपये की आय हुई है।
सितंबर से नंवबर के बीच यह बढ़ोतरी दिखी है। यूजर चार्ज से बढ़ रही आय से नगर निगम के अफसरों को भी लगने लगा है कि घर-घर से नियमित कूड़ा उठने से ही शहरवासियों का रुझान यूजर चार्ज देने में बढ़ा है।
गाड़ी वाला आया कचरा निकाल… और जो लखनपुर था, वो आज है लखनऊ। हां, नवाबों का अंदाज है लखनऊ…, गीत के बीच नगर निगम की गाडिय़ां शहर के कुछ भागों में जा रही हैं।
नगर निगम के कुल आठ जोन में से जोन एक, तीन, चार, पांच और आठ में यह गाडिय़ां घरों से कूड़ा लेने जाती हैं। अब इंदिरानगर क्षेत्र में भी 24 गाडिय़ां घर-घर से कूड़ा लेने के लिए दौड़ती नजर आएंगी।
वैसे तो घर-घर से कूड़ा उठाने की योजना वर्ष 2007 से चल रही है, लेकिन कभी पटरी पर चढ़ती है तो कभी उतर जाती है। भाजपा सरकार बनने के बाद कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ज्योति इंव्यारो से काम लेकर मेसर्स ईको ग्रीन को दिया गया था।
लेकिन, यह कंपनी भी दावे के मुताबिक काम नहीं कर रही थी और वेतन न मिलने से कर्मचारी भी हट रहे हैं। जिन घरों से यूजर चार्ज वसूला जाता था, वहां से नियमित कूड़ा न लेने से लोगों का विश्वास खत्म हो रहा था और शहर के अधिकांश लोग आसाम से आए लोगों को ही कूड़ा दे रहे थे, लेकिन यह कूड़ा घरों से लेकर सड़क पर ही फेंका जाता है।
कचरे को एक साथ मिलाने से उसकी छंटाई में बहुत समय बर्बाद होता है। अगर गीला, सूखा और रासायनिक कूड़े को अलग-अलग डिब्बे में रखा जाए तो घर से ही कूड़े की छंटाई हो जाएगी।