प्रयागराज में आज से हो रही माघ मेले की शुरुआत जाने कितने श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद। …
संगम नगरी प्रयागराज में कल से माघ मेले की शुरुआत हो रही है. कल मकर संक्रांति के दिन से शुरू हो रहा माघ मेला 11 मार्च को महाशिवरात्रि तक चलेगा.
करीब दो महीने तक चलने वाले आस्था के इस मेले में देश-दुनिया से तकरीबन पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
मेले के लिए संगम की रेती पर तम्बुओं का एक अलग शहर बसाया गया है. दर्जन भर से ज़्यादा थाने और तीस के करीब पुलिस चौकियां बनाई गईं हैं. अस्पताल और सरकारी राशन की दुकानों के साथ ही तमाम सरकारी विभागों के दफ्तर भी बनाए गए हैं.
साधू संतों और कल्पवासियों के लिए टेंट सिटी बनाई गई है तो साथ ही लोहे के चकर्ड प्लेट की सड़कें और गंगा नदी पर आवागमन के लिए पीपे के पुल बनाए गए हैं.
कोरोना और बर्ड फ़्लू के साये के बीच शुरू हो रहा इस बार का माघ मेला कई मायनों में बेहद ख़ास है. इस बार ग्रहों और नक्षत्रों का विशेष संयोग मकर संक्रांति और मेले को ख़ासा फलदायक बना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी अमले पर श्रद्धालुओं को कोरोना के संक्रमण से बचाने की बड़ी चुनौती भी है.
मेले में इस बार छह प्रमुख स्नान पर्व होंगे. बड़ी संख्या में श्रद्धालु कल मकर संक्रांति के दिन से ही कल्पवास शुरू कर देंगे, जबकि ज़्यादातर श्रद्धालु और संत-महात्मा 27 जनवरी को पौष पूर्णिमा से संगम की रेती पर धूनी रमाएंगे.
समूची दुनिया में सिर्फ प्रयागराज में ही एक महीने का कल्पवास होता है, जहां रहकर लोग अपने लिए मोक्ष यानी जीवन मरण के बंधन से मुक्ति की कामना करते हैं.
मेले के लिए एक दिन पहले से ही कल्पवासियों और श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. श्रद्धालुओं के लिए संगम और आस पास की जगहों पर तमाम घाट बनाए गए हैं.
हालांकि इस बार की व्यवस्थाएं पिछले सालों के मुकाबले कुछ फीकी नज़र आ रही हैं. सरकारी अमले ने कोरोना के संक्रमण को काबू में रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाने के दावे किये हैं
लेकिन ये कदम कागजों पर ज़्यादा और हकीकत में कम देखने को मिल रहे हैं बर्ड फ़्लू की आशंका के मद्देनज़र इस बार संगम पर आने वाले साइबेरियन बर्ड्स को दाना खिलाने पर पाबंदी लगा दी गई है.
प्रयागराज में हर साल माघ महीने में आस्था का मेला लगता है. इसके लिए अलग शहर बसाया जाता है. अलग अफसरों की नियुक्ति की जाती है. मेले में इस बार भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं. पुलिस कर्मियों को श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ ही कोविड के प्रोटोकॉल का पालन कराने की भी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.