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भारत-नेपाल सीमावर्ती जनपदों में 05 कि0मी0 क्षेत्रान्तर्गत निजी क्षेत्र का कोई उर्वरक विक्रय केन्द्र क्रियाशील न हो

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को गुणवत्तायुक्त रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराने एवं उर्वरक का शत् प्रतिशत वितरण सुनिश्चित करने के लिये प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं

कि प्वाइंट आॅफ सेल (पी0ओ0एस0) मशीन के माध्यम से उर्वरक की बिक्री के उपरांत सभी किसानों को कैश मेमो या पर्ची उपलब्ध करायी जाय। साथ ही यह भी निर्देश दिये हैं कि डी0ए0पी0 एवं एन0पी0के0 उर्वरकांे की बिक्री बोरी पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक दर पर न की जाय। ऐसा करने वाले उर्वरक विक्रेताओं पर नियमानुसार कार्यवाही किये जाने के आदेश दिये गये हैं।
यह जानकारी अपर मुख्य सचिव, डाॅ0 देवेश चतुर्वेदी ने देते हुये बताया कि उर्वरकों की उपलब्धता एवं वितरण व्यवस्था प्रणाली को सुदृढ़ बनाये जाने हेतु कृषि विभाग, सहकारिता विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को आपस में समन्वय स्थापित कर साप्ताहिक मानीटरिंग सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

उन्होंने कहा है कि अन्तर्राज्यीय व अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओें के जनपदों में विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। भारत-नेपाल सीमावर्ती जनपदों में 05 कि0मी0 क्षेत्रान्तर्गत निजी क्षेत्र का कोई उर्वरक विक्रय केन्द्र क्रियाशील नहीं रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में रबी 2020-21 हेतु यूरिया उर्वरक की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है।
डाॅ0 चतुर्वेदी ने बताया कि उर्वरकों की उपलब्धता एवं वितरण हेतु कृषि एवं राजस्व विभाग की संयुक्त टीम गठित कर सघन रूप से छापे की कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि फुटकर के साथ-साथ थोक विक्रेताओं एवं बफर स्टाकिस्टों के स्टाक का भी सघन निरीक्षण किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

उन्होंने कहा है कि यह अवश्य देखा जाए कि कहीं थोक विक्रेता स्थानीय स्तर पर अपने पास उर्वरक का अनावश्यक भण्डारण कर कृत्रिम अभाव की स्थिति उत्पन्न न करें। यदि कहीं ऐसा पाया जाता है तो स्टाक को बाजार में किसानों मंे बिक्री के लिये अवमुक्त किया जाए और सम्बन्धित के विरूद्ध कार्यवाही भी की जाए।
अपर मुख्य सचिव, कृषि ने बताया कि किसानों को पहचान पत्र के आधार पर उनकी जोत एवं फसल हेतु संस्तुत मात्रा के अनुसार ही उर्वरक उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं ताकि महंगे उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग एवं कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों में दुरूपयोग को नियंत्रित किया जा सके।

श्री चतुर्वेदी ने कहा है कि जहां पर कालाबाजारी, जमाखोरी या निर्धारित विक्रय मूल्य से अधिक दरों पर बिक्री की शिकायत प्राप्त हो या जिन-जिन क्षेत्रों में उर्वरकों की मांग अधिक है, वहां किसानों की अधिक संख्या में आने की आशंका के दृष्टिगत क्षेत्रीय अधिकारियों की निगरानी में उर्वरक का वितरण कराया जाए।

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