भगवान सूर्य देव की विधि-विधान से करे पूजा मिलेगी सफलता
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान सूर्य देव एक मात्र ऐसे देवता हैं जो साक्षात दिखाई पड़ते हैं. इनकी विधि-विधान से पूजा करने से सफलता, मानसिक शांति और शक्ति का संचार होता है.
सूर्यदेव की पूजा में गायत्री मंत्र के अतिरिक्त कई तरह के मंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है. हिन्दू धर्म में मंत्र जाप की कोई गिनती ही नहीं है. सूर्य देव के किसी भी मंत्र का जाप व्यक्ति को अपनी सुविधानुसार करना चाहिए.
सूर्य यश का कारक होता है. मान सम्मान में वृद्धि कराता है. अगर कुंडली में सूर्य शुभ होकर कमजोर है तब इसके किसी भी एक मंत्र का जाप करना चाहिए. मंत्र जाप की संख्या 7,000 होनी चाहिए.
शुक्ल पक्ष के रविवार से मंत्र जाप आरंभ करने चाहिए. अपनी सुविधानुसार व्यक्ति अपने इन जापों को निर्धारित समय में पूरा कर सकता है. परम तेजस्वी दिव्य सूर्य भगवान का पूजन प्रतिदिन करना चाहिए. विशेष अवसरों पर उनके यह 12 नाम मनचाहा वरदान देते हैं.
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ मित्राय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगय नम:
ॐ पुष्णे नम:
ॐ मारिचाये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सावित्रे नम:
ॐ आर्काय नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
सूर्य वैदिक मंत्र-
ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
सूर्य के लिए तांत्रोक्त मंत्र-
ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम
ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:
ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:
सूर्य नाम मंत्र-
ऊँ घृणि सूर्याय नम: