मेट्रो-रोपवे प्रोजेक्ट के अध्ययन के लिए यूरोप के दो देशों की यात्रा पर गए दल ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में छह सिफारिशें की गई हैं। मेट्रो ट्रेन से मिलते जुलते, लेकिन लागत में कम लाइट रेल ट्रांजिट (एलआरटी) की देहरादून शहर के लिए प्रबल संस्तुति की गई है। इसके विपरीत, तीर्थनगरी में पर्सनल रैपिड ट्रांजिट (पीआरटी) सिस्टम को ज्यादा कारगर बताया गया है। शहरी विकास और आवास मंत्री मदन कौशिक को रविवार को यह रिपोर्ट दल के सदस्यों ने सौंपी। इस रिपोर्ट को जल्द ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा जाएगा।
कुछ दिनों पहले कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अगुवाई में विधायकों और अफसरों का एक दल यूके के लंदन और जर्मनी के फ्रैंकफर्ट व कोलोन शहर की परिवहन व्यवस्था के अध्ययन के लिए गया था। इस दल ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। यमुना कालोनी में मदन कौशिक को रिपोर्ट सौंपने के लिए दल में शामिल विधायक आदेश चौहान, करन मेहरा, पूरन सिंह फर्त्याल, चंदन राम दास, उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी, कारपोरेशन के मुख्य अभियंता एनएस रावत शामिल थे। विदेश यात्रा में गए दल में सीएस उत्पल कुमार सिंह, सचिव राधिका झा, नितेश कुमार झा के अलावा विधायक मनोज रावत, सुरेंद्र सिंह जीना भी शामिल थे।
अध्ययन दल ने जो रिपोर्ट दी है, उसे जल्द ही सीएम को सौंपा जाएगा। सरकार दून, ऋषिकेश और हरिद्वार में मेट्रो या उसके विकल्प के तौर पर एलआरटी या पीआरटी सिस्टम को लागू करने के प्रति गंभीर है। विदेश के तीन शहरों का अध्ययन करने के बाद सरकार का नजरिया और व्यापक होगा। जल्द ही इस संबंध में अच्छे नतीजे निकलेंगे।-मदन कौशिक, शहरी विकास और आवास मंत्री, उत्तराखंड।
अध्ययन दल की ये हैं छह सिफारिशें
सिफारिशें-
1-देहरादून-हरिद्वार-ऋषिकेश मेट्रोपॉटिन क्षेत्र के मुख्य कारीडोर, जिसकी अनुमानित आवश्यक क्षमता छह हजार पीएचपीडीटी है, उनके लिए लाइट रेल ट्रांजिट (एलआरटी) प्रणाली सर्वोत्तम है।
2-पर्सनल रैपिड ट्रांजिट (पीआरटी) को सहायक प्रणाली के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। मै.एफडब्ल्यू पॉवर लि.के स्तर पर पूर्व में ही पीआरटी प्रणाली को पीपीपी मोड में हरिद्वार शहर में स्थापित करने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इन्टरेस्ट दिया गया है। पीआरटी के लिए मार्ग का चिन्हिकरण इस आधार पर किया जाना आवश्यक होगा कि इससे हरिद्वार शहर में आने वाले यात्रियों के लिए मुख्य जगहों को रेल व बस स्टेशन से जोड़ा जा सकेगा।
3-रोप वे प्रणाली, जिसकी गति काफी सीमित है, को वर्तमान में देहरादून में एलआरटी के लिए सहायक प्रणाली के रूप में किसी चिन्हित छोटे स्ट्रेच पर प्रयोग बतौर संचालित किया जा सकता है। इस प्रणाली को हरिद्वार शहर में गंगा नदी के आर-पार भी बनाया जा सकता है, जिससे ये चंडी देवी मंदिर में स्थापित रोप वे तक जोड़ने और गंगा पार की अन्य आबादी क्षेत्र को भी जोड़ने में मददगार साबित हो सके। इन जगहों पर रोप वे से जुडे़ अनुभव के आधार पर इसे विस्तारित किया जा सकता है। साथ ही शहरी परिवहन के साधन के रूप में संचालित करने का निर्णय लिया जा सकता है।
4-लंदन शहर में ‘ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन’ के स्तर पर समस्त परिवहन संसाधनों के सफलतापूर्वक संचालन और नियंत्रण को देखते हुए उत्तराखंड मेट्रो रेल, शहरी अवस्थापना और भवन निर्माण निगम लि. को समस्त कार्यों के लिए कार्यदायी संस्था नियुक्त किया जाना चाहिए। इस निगम के एमओयू में भी परिवहन से संबंधित समस्त संसाधनों के निर्माण और उसके संचालन की व्यवस्था दी गई है। इससे, जहां संसाधनों को विकसित करने में तेजी आएगी, वहीं संसाधनों की गुणवत्ता, पूंजी निवेश में मितव्ययिता, विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं के कार्यों में समानता का लाभ मिलेगा।
5-दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन की तरह उत्तराखंड कारपोरेशन के एमडी को भी पर्याप्त प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार दिए जाएं। एमडी को पर्याप्त अधिकार दिए जाने से मेट्रो रेल कारपोरेशन के स्तर पर तुरंत निर्णय लिए जाने से तमाम कार्य समय से पूरे हो सकेंगे।
6-सुझावों पर अमल के लिए मंत्रिमंडल के सदस्यों की एक समिति का गठन किया जाना चाहिए।
…तो बदलेगा मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का स्वरूप
अध्ययन दल की रिपोर्ट पर सरकार क्या फैसला करती है, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कयास ये ही लगाए जा रहे हैं कि मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का स्वरूप अब बदल सकता है। दून-ऋषिकेश मेट्रो रूट के लिए काफी कुछ खाका पूर्व में खींचा जा चुका है। हालांकि इसकी डीपीआर पर अंतिम मुहर अब तक नहीं लगी है। इन स्थितियों के बीच, इस प्रोजेक्ट की व्यवहारिकता को लेकर भी कई तरह की बातें होती रही हैं। ऐसे में कम बजट के प्रोजेक्ट पर सरकार का फोकस है।