चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने एरा मेडिकल कॉलेज लखनऊ में आयोजित मेडिकल एथिक्स सेमिनार में प्रतिभाग किया
उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने आज एरा मेडिकल कॉलेज लखनऊ में आयोजित मेडिकल एथिक्स सेमिनार में प्रतिभाग किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि डॉक्टर ईश्वर का रूप होता है।
इसलिए मरीज एवं तीमारदार उनके समक्ष इस उम्मीद के साथ आते हैं कि वे निराश नहीं होंगे। उन्होंने पाश्चात्य संस्कृति प्रति लोगों में बढ़ते आकर्षण को देखते हुए कहा कि माहौल से हर व्यक्ति प्रभावित होता है
लेकिन हमें उतना ही प्रभावित होना चाहिए जिससे कि हमारा दूसरों की मदद करने की संस्कृति प्रभावित ना हो तथा और अधिक संवेदना हमारे व्यवहार में आए। उन्होंने कहा कि मरीज एवं तीमारदारों के साथ और अधिक आत्मीयता के साथ व्यवहार करें एवं दूसरों के प्रति हमदर्दी रखें।
श्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि मरीज और उसके तीमारदार की मनोदशा ठीक नहीं होती, वह एक व्यथित मानसिकता तथा परेशान हाल व्यक्ति होता है। उसका लक्ष्य होता है कि उसको या उसके मरीज को जल्दी से जल्दी आराम मिल जाए और वह ठीक हो जाए। इस दशा में यह आवश्यक नहीं है कि वह चिकित्सक के साथ अच्छा व्यवहार करे।
वह एक व्यथित व्यक्ति होता है इसलिए उसकी वाणी संयमित नहीं होती। ऐसी मानसिकता में उसके साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए इस पर विचार किया जाना चाहिए । यह संभव है कि चिकित्सक भी अत्यधिक कार्य के दबाव में हो लेकिन फिर भी मरीजों के साथ आत्मीयता का व्यवहार करना चाहिए । उन्होंने कहा कि आपके द्वारा चिकित्सक का प्रोफेशन चुनने का मतलब आपने दूसरों की जिंदगी को आसान
बनाने का रास्ता चुना है, इसलिए प्रयास होना चाहिए कि मरीजो को पूरी आत्मीयता के साथ अच्छा से अच्छा उपचार मिले, जिससे उसे मर्ज से राहत मिल और उसकी जिंदगी आसान हो।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि धन और भौतिक वस्तुओं से तात्कालिक सुख तो मिल सकता है लेकिन आत्मसंतुष्टि नहीं मिलती है।
आत्मसंतुष्टि तो केवल दूसरों की सेवा से ही प्राप्त हो सकती है। किसी की पीड़ा को हरने, किसी के दुख को दूर करने, उसके साथ हमदर्दी करने से आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है। जब कोई मरीज स्वस्थ होने के बाद चिकित्सक का धन्यवाद देता है उसके मुकाबले में कोई आत्मसंतुष्टि नहीं होती।
उन्होंने कहा कि किसी ना किसी रूप में दूसरों के साथ हमदर्दी रखने और दूसरों की जिंदगी को आसान बनाने में जितना संतुष्टी है उतना किसी भी भौतिक उपलब्धि में नहीं है और जिंदगी का अंततोगत्वा यही उद्देश्य भी है।
ज्ञातव्य है कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निर्देश के क्रम में प्रदेश के समस्त मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों में प्रत्येक माह के पहले और तीसरे शनिवार को मेडिकल एथिक्स पर सेमिनार का आयोजन किया जाता है।
इस सेमिनार में मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षक एवं छात्र सम्मिलित होते हैं। इसमें वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा अनुभव को शेयर किया जाता है जिससे डॉक्टरों में मरीजों के प्रति अधिक सेवा भाव पैदा हो।
यह सेमिनार 90 मिनट का होता है। प्रत्येक फैकल्टी मेंबर व रेजिडेंट डॉक्टर 5 मिनट से लेकर 7 मिनट में अपने विचार रखते हैं संकाय सदस्यों, जूनियर/सीनियर रेजिडेंट की क्लीनिकल कुशलता के विकास के लिए मेडिकल एथिक्स पर यह सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।