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उत्तर प्रदेश के कानपुर में बढ़ी पर्यावरण प्रदूषण से लोगो की चिंता

उत्तर प्रदेश के कानपुर पर्यावरण प्रदूषण ने सबकी चिंता बढ़ा दी है. ठंड में घने कोहरे के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है. साथ ही वाहनों का बढ़ता दबाव और चल रहे निर्माण कार्यों से वातावरण में हानिकारक गैसों और धूल के बारीक कण घुल गए हैं

जिससे लोगों को सांस लेने में भी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. लगातार मौसम में बदलाव की वजह से अब कोहरे व धुएं से स्मॉग का खतरा भी बढ़ गया है. पिछले सात दिन में पीएम-2.5 की मात्रा 300 से लेकर 400 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब से अधिक पाई गई है

सुबह के वक्त घने कोहरे के चलते पर्यावरणविद् आने वाले दिनों में स्मॉग की आशंका जता रहे हैं. पर्यावरणविद इसे खतरे की घंटी मान रहे हैं और सुबह के वक्त घने कोहरे के चलते आने वाले दिनों में स्मॉग की आशंका जता रहे हैं.

कानपुर में कोहरे के कारण हानिकारक गैसों का प्रभाव बढ़ रहा है. बीते रविवार की सुबह कोहरे की चादर से शहर ढका रहा, जिसके कारण प्रदूषण के कण ऊपरी सतह पर नहीं जा पाए और पर्यावरण प्रभावित रहा.

शहर में हालात ये थे कि कोहरे के साथ धुआं मिलने से जरा सी दूर देखना भी मुश्किल हो गया था. जगह-जगह निर्माण कार्य के चलते वाहन चलने से धूल भी खूब उड़ रही है. इससे पर्यावरण में पीएम-10 की मात्रा भी बढ़ी है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शहर ने अपने साथ आईआईटी की हवा भी प्रदूषित होती जा रही है. यहां पर लगे सभी 21 पॉल्यूशन मॉनीटरिंग सेंसर में ज्यादातर में पीएम-2.5 की मात्रा 200 से ऊपर दर्ज की गई जो सामान्य से बहुत अधिक रही, जबकि वहां पर चुनिंदा लोग ही स्कूटर, बाइक व कार से चलते हैं.

ज्यादातर प्रोफेसर साइकिल से अपने रोजमर्रा के काम करते हैं. शहर में पीएम-2.5 की औसत मात्रा 319 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब दर्ज की गई जबकि यह अधिकतम 435 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब तक पहुंच गई.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और पर्यावरणविद् प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि स्मॉग के साथ एयरोसोल का खतरा भी बरकरार है. मौसम की वर्तमान स्थिति को देखते हुए धातु के सूक्ष्म कण ओस के साथ मिलकर हानिकारक एयरोसोल बना सकते हैं.

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