गड़बड़ हिप ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देगा जॉनसन एंड जॉनसन
इंडियन ड्रग रेगुलेटर कंपनी ने जॉनसन एंड जॉनसन से हिप ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को 20 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने को कहा है। इसके साथ ही सरकार द्वारा बनाई गई कमिटी की सिफारिशों को मानने के लिए कहा है। बता दें कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन डॉक्टर अरुण अग्रवाल की अध्यक्षता में बनी कमिटी की सिफारिशों के बाद ये फैसला आया है। इस फैसले के बाद जॉनसन एंड जॉनसन को एक खत भेजा गया है। यह खत सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) की तरफ से भेजा गया है। जिसमें मरीजों को तुरंत 20 लाख रुपये देने को कहा गया है।
इसके साथ ही सीडीएससीओ ने कहा है कि हर मरीज को इम्प्लांट के बाद जो दिक्कतें आई हैं उनका भी आकलन किया जाएगा। उसके बाद हर एक के लिए अलग से मुआवजे का एलान किया जाएगा।
4700 लोगों का हुआ ट्रांसप्लांट 3600 का पता नहीं
मामले पर जॉनसन एंड जॉनसन का कहना है कि भारत में करीब 4700 लोगों को ट्रांसप्लांट किया गया है। कंपनी का कहना है कि इनमें से 3600 लोगों का पता लगाया जाना अभी बाकी है।
2025 तक मेडिकल कास्ट का भुगतान
मरीजों को मुआवजा देने के अलावा रेगुलेटर ने कंपनी को कहा है कि उसे अपने मेडिकल मैनेजमेंट प्रोग्राम को बढ़ाना होगा। साथ ही मरीजों को 2025 तक उनके मेडिकल कास्ट का भी भुगतान करना होगा। रेगुलेटर ने कहा कि कंपनी ने मरीजों के लिए बनाए मैनेजमेंट प्रोग्राम को बीते साल ही खत्म कर दिया था। जो कि गलत है। एक ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट की सामान्य उम्र 15 साल होती है।
अमेरिका में 2.5 बिलियन डॉलर का भुगतान
जानकारी के लिए बता दें जॉनसन एंड जॉनसन ने वैश्विक स्तर पर 2010 में किए गए सभी ट्रांसप्लांट को वापस लेने का फैसला किया था। साथ ही इससे प्रभावित मरीजों के लिए जो कंपनी की ओर से भुगतान किया जाता उसके नियमों को भी अगस्त 2017 में बदल दिया था। अब भारत के मरीजों को ये कंपनी 20 लाख रुपये मुआवजे को तौर पर देगी। इससे पहले कंपनी ने अमेरिका के 8 हजार मरीजों को 2.5 बिलियन डॉलर की राशि का भुगतान किया है।