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महाराष्ट्र और कर्नाटक आये सीमा विवाद को लेकर आमने-सामने

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों के नेताओं में जुबानी जंग शुरू हो गयी है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनके राज्य की सीमा से लगते कर्नाटक के मराठी भाषी बहुल इलाकों को सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.

इसके जवाब में कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने कहा है कि कर्नाटक के मराठी भाषी लोग मुंबई को कर्नाटक में शामिल करने की इच्छा रखते हैं. बता दें कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में भाषा के आधार पर सीमा विवाद का मामला काफी पुराना है.

महाराष्ट्र कर्नाटक के बेलगाम, करवार और निप्पनी सहित कर्नाटक के कई हिस्सों पर भाषा के आधार पर दावा करता है. महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच यह सीमा विवाद सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.

बुधवार को ही पहले उद्धव ठाकरे ने पहले इस मुद्दे को उठाया दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर लिखी किताब का विमोचन करने के मौके पर उद्धव ठाकरे ने कर्नाटक सरकार की उन इलाकों में रह रहे

मराठी भाषी आबादी पर कथित अत्याचार को लेकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि इन इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने के मामले में जीतने के लिए लड़ने की जरूरत है.

उद्धव ठाकरे ने कहा जब मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में चल रही है, कर्नाटक ने बेलगाम का नाम बदलकर उसे अपनी दूसरी राजधानी घोषित कर दी और वहां विधानमंडल की इमारत का निर्माण किया और वहां विधानमंडल का सत्र आयोजित किया. यह अदालत की अवमानना है

उन्होंने कहा हम शपथ लें कि जबतक जीतेंगे नहीं आराम नहीं करेंगे. अगर लंबित मुद्दे इस सरकार के कार्यकाल में नहीं सुलझे तो कभी नहीं सुलझेंगे.’’ उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा कर्नाटक में किसी भी पार्टी की सरकार या मुख्यमंत्री हो, उनकी एक समानता होती है और वह है मराठी लोगों और भाषा पर अत्याचार

कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने कहा है कि कर्नाटक के मराठी भाषी लोग मुंबई को कर्नाटक में शामिल करने की इच्छा रखते हैं. उन्होंने कहा इस क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ मेरी मांग है कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाए.

जब तक ऐसा नहीं किया जाता है, मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करे लक्ष्मण सावदी ने कहा कि मुंबई कर्नाटक का है. कर्नाटक के लोगों का कहना है कि मुंबई लंबे समय तक कर्नाटक में रहा है. मुंबई पर हमारा अधिकार है.

बता दें कि दोनों राज्यों के बीच का सीमा विवाद आजादी से भी पहले का है. साल 1956 में भाषा के आधार पर दोनों राज्यों के गठन के बाद इस विवाद में तेजी आयी. महाराष्ट्र ने इस विवाद के लिए महाराष्ट्र एकीकरण समिति गठित की गई..

महाराष्ट्र कर्नाटक के बेलगाम, करवार और निप्पनी सहित कर्नाटक के कई हिस्सों पर भाषा के आधार पर दावा करता है. मामलपा सुप्रीम कोर्ट में है लेकिन उद्धव ठाकरे के बयान के बाद विवाद जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है.

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