नोवावैक्स कोरोना वैक्सीन यूके परीक्षण में 89% प्रभावी, दक्षिण अफ्रीका में आंकड़ा हुआ कम
नोवावैक्स इंक ने कहा कि गुरुवार को यूनाइटेड किंगडम में किए गए परीक्षण में COVID-19 को रोकने के लिए इसका कोरोना वायरस वैक्सीन 89.3% तक प्रभावी था और प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, ब्रिटेन में सबसे पहले खोजे गए अत्यधिक संक्रामक वैरिएंट से बचाने में लगभग प्रभावी पाया गया है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका में वैक्सीन का एक मध्य-चरण परीक्षण, जहां नया वायरस संस्करण एक बड़ी समस्या बन गया था, वहां लोगों में 60% प्रभावशीलता देखी गई, जिनको एचआईवी की भी समस्या नहीं थी।
नोवावैक्स के शेयरों में 34% की वृद्धि दर्ज की गई। बताया गया कि यह तेजी परीक्षण के परिणाम जारी करने के बाद अमेरिका में आए दक्षिण अफ्रीकी संस्करण के अपने पहले मामले की सूचना की बाद देखी गई। नोवावैक्स पहले से ही छह ऑपरेटिंग मैन्युफैक्चरिंग स्थानों पर वैक्सीन का स्टॉक कर रहा है और बताया गया कि वह सात देशों के कुल आठ प्लांट की उम्मीद लगा रहा है, जो प्रति वर्ष 2 बिलियन खुराक की दर से उत्पादन कर सकेंगे, जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी शामिल है।
बताया गया कि ब्रिटेन का परीक्षण, जिसने 18 से 84 वर्ष की आयु के 15,000 लोगों को नामांकित किया है, का उपयोग ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों में उपयोग किए जाने के लिए आवेदन दिया जाएगा। नोवावैक्स वैक्सीन की स्वीकृति का यूरोप में सबसे अधिक स्वागत होगा क्योंकि वह फाइजर / बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका पीएलसी की उम्मीद से कम वैक्सीन मिलने पर संघर्ष की स्थिति में है।
बता दें कि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने दवा कंपनी नोवावैक्स इंक के साथ भारत और अन्य देशों के लिए उसकी संभावित कोरोना वैक्सीन तैयार करने का करार किया है। करार के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट हर साल नोवावैक्स की दो अरब डोज तैयार करेगा। सीरम ने अमेरिका कंपनी कोडाजेनिक्स के साथ भी उसकी कोरोना वैक्सीन का उत्पादन और वितरण करने का करार किया है।