चाणक्य की नीति के अनुसार करे ये काम नहीं आएगी आत्मविश्वास में कमी
चाणक्य की चाणक्य की नीति व्यक्ति व्यक्ति को सफल बनाने के लिए प्रेरित करती है. आचार्य चाणक्य की गिनती इसीलिए श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य की शिक्षाएं व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या में भी काम आती हैं.
सुख और दुख में व्यक्ति को किस तरह से बर्ताव करना चाहिए इसके बारे में भी बताती है. जो व्यक्ति चाणक्य की इन शिक्षाओं पर अमल करता है. वह सैदव प्रसन्न रहता है.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को अपने चरित्र को लेकर सदैव सर्तक और सावधान रहना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति का यदि चरित्र नष्ट हो गया तो सबकुछ नष्ट हो जाता है.
इसीलिए व्यक्ति को अपने चरित्र की उसी प्रकार रक्षा करनी चाहिए, जिस तरह से व्यापारी अपने धन और संपत्ति की रक्षा करता है. चरित्र ही मनुष्य का असली गुण माना गया है. जो व्यक्ति अपने चरित्र से गिर जाता है. उसका नैतिक पतन प्रारंभ हो जाता है. चरित्र नष्ट होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास नष्ट हो जाता है.
जिस व्यक्ति का चरित्र नष्ट हो जाता है ऐसे लोग अपनी पत्नी और परिवार के सामने खड़े नहीं हो पाते हैं पत्नी से ऐसे लोग नजरें नहीं मिला पाते हैं. चाणक्य के अनुसार चरित्र के साथ व्यक्ति को कभी समझौता नहीं करना चाहिए.
किसी भी कार्य को करने के लिए आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी माना गया है, लेकिन जिस व्यक्ति का चरित्र नष्ट हो जाता है उसका विश्वास भी डगमगाने लगता है. चरित्रहीन व्यक्ति स्वार्थी होता है, उसे झूठ बोलने से कोई भय नहीं लगता है. ऐसे लोग धन की बर्बादी भी करते हैं.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सच्चाई से जुड़ा रहना चाहिए. जो व्यक्ति भोग विलास की जिंदगी को वरियता देते हैं वे आगे चलकर कष्ट उठाते हैं. व्यक्ति को जीवन के महत्व को जानना और समझना चाहिए.
व्यक्ति को अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए अध्यात्म और धर्म का सहारा लेना चाहिए. भोग विलास में व्यस्त व्यक्ति जीवन की सच्चाई से दूर रहता है. ऐसा व्यक्ति परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में भी अपना योगदान नहीं दे पाता है. व्यक्ति को सदैव सत्य के बारे में जानना चाहिए.