दरक रहा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे में आई दरार, हकीकत बयां करती ये तस्वीरें

इटावा: बारिश से लखनऊ-आगरा-एक्सप्रेस-वे दरकता जा रहा है। बुधवार को सैफई के टिमरुआ चौराहे पर 2.5 मीटर लंबी और नगला करी में छह मीटर लंबी दरारें नजर आने लगीं। आनन-फानन में एनसीसी कंपनी के कर्मचारियों ने पहले बोरियां लगाकर क्षतिग्रस्त सड़क पर यातायात रोक दिया और बाद में दरारें नहीं दिखाई देने के लिए उसके ऊपर मिट्टी डाल दी। उसके बावजूद दरारें साफ समझ में आ रही हैं।
सैफई थाने के टिमरुआ चौराहा पुल के पास 107 किलोमीटर के चेक के पास बुधवार सुबह स्थानीय लोगों ने एक्सप्रेस-वे की मुख्य सड़क पर करीब 2.5 मीटर तक दरार होने की सूचना दी। दरारों की सूचना पर निर्माण एजेंसी की भूमिका निभाने वाली कंपनी एनसीसी के अवर अभियंता शकील अहमद ने मौके पर पहुंचकर कर्मचारियों को मरम्मत कार्य के लिए जुटाया। सबसे पहले यातायात को रोका गया। इसके लिए कर्मचारियों ने मिट्टियां भरकर बोरियों को लगा दिया। बाद में बाद में जेसीबी मशीन के जरिए किनारे की मिट्टी को दरारों पर डालकर भर दिया गया। ताकि दरारें न दिखाई दे सके।
मिट्टी कटान से धंसता जा रहा एक्सप्रेस-वे
ऊसराहारः जानकारों की मानें तो लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे को दो साल से कम समय में पूरा करना ही इसके निर्माण की गुणवत्ता को प्रभावित कर गया है। मिट्टी की गुणवत्ता का चयन न करना भी इसके घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार है। क्योंकि निर्माण के समय इसमें स्थानीय ठेकेदारों की मदद से ऊसर आदि की मिट्टी का भी इस्तेमाल किया गया था। इस मिट्टी की गुणवत्ता परखे बिना ही निर्माण शुरू कर दिया गया था।
निर्माण के समय यदि इस बात का ध्यान रखा जाता कि यह मिट्टी बरसात में ये कमियां उजागर न होती। मिट्टी के कटान होने से मुख्य मार्ग तक प्रभावित हो चुका है। एक्सप्रेस-वे के लंबे मार्ग पर दोनों तरफ जलनिकासी का कोई इंतजाम न होने से कटाव हो रहा है। इससे सर्विस रोड भी स्थिति और खराब होती जा रही है। नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर नीरज वालियान का कहना है कि मिट्टी कटान होने से स्थिति खराब हो रही है।
ऊसराहारः एक्सप्रेस-वे तत्कालीन सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था। इसके निर्माण में लगी पांचों कंपनियों पर एक्सप्रेस-वे को तयशुदा समय पर तैयार करने का अतिरिक्त दबाव था। नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी जिसने चौपला के पास से लेकर कन्नौज सीमा तक लगभग 57 किलोमीटर का निर्माण कार्य सोलह सौ करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया है। कंपनी ने दिए गए समय से पूर्व ही एक्सप्रेस वे को पूरा करने पर अवार्ड भी जीता था।
ऊसराहारः आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे के ड्रेनेज सिस्टम के लिए बनाई गई रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम बारिश का पानी सोख नहीं पा रहे हैं । जबकि बारिश के पानी को सोखने के लिए ही इनको बनाया गया था। उनके निर्माण को लेकर करोड़ों रुपये का खर्चा हुआ है। एक्सप्रेस वे की मुख्य सड़क से पानी नीचे लाने के लिए बनाई गई नालियां टूटती रहती हैं।