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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता हुई बहुत खराब

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत NCR में गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रविवार को सुबह 7 बजे वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ जबकि फरीदाबाद एवं गुरुग्राम में ‘खराब’ की श्रेणी में दर्ज की गई है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली के पास स्थित पांच स्थानों पर वायु में प्रदूषकों-पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर से भी अधिक रहा.

रविवार को सुबह 7 बजे दर्ज एयर सूचकांक के मुताबिक, 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 338, दिल्ली में 309, नोएडा में 302, ग्रेटर नोएडा में 308, फरीदाबाद में 278 और गुरुग्राम में 281 रहा.

शून्य से 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. सीपीसीबी का कहना है कि वायु गुणवत्ता अधिक समय तक ‘बेहद खराब’ रहने से श्वसन संबंधी दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं.

दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए एआई का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग दिल्ली एनसीआर और इसके आसपास के इलाकों के लिए एक निर्णय सहायता प्रणाली टूल विकसित करेगा.

आयोग ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके जरिये केमिकल ट्रांसपोर्ट माॅडल का इस्तेमाल कर यह पता लगाया जा सकेगा कि प्रदूषण के लिए कौन से कारक जिम्मेदार हैं.

हवा में मौजूद रसायन व प्रदूषण कणों से यह पता चल सकेगा कि प्रदूषण के स्त्रोत का पता चल सकेगा. लिहाजा, यह तकनीक प्रदूषण के उन स्त्रोतों पर रोक लगाने में मददगार साबित होगी.

यह निर्णय सहायता प्रणाली वेब, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) व मल्टी माडल पर आधारित होगा. इसके लिए बकायदा फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा.

आयोग ने मौसम विभाग, आइआइटी पुणे, आइआइटी दिल्ली, नीरी (राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान) व सी-डेक (सेंटर फॉर डेवलपमेंट एडवांस कंम्यूटिंग) पुणे को जिम्मेदारी दी है. इन सभी संस्थानों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है.

दिल्ली एनसीआर में औद्योगिक इकाइयां, भारी संख्या में सड़कों पर दौड़ते वाहन, बिजली संयंत्र, निर्माण कार्य से उत्पन्न धूल, डीजी सेट, सड़कों पर मौजूद धूल कण, पराली जलाना, लैंडफिल इत्यादि प्रदूषण के मुख्य कारण रहे हैं. डीएसएस टूल के तहत इन सबको शामिल किया जाएगा। इससे यह पता चल सकेगा कि प्रदूषण के लिए कौन कारण कितना जिम्मेदार है.

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