जम्मू कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद को इस वजह से अचानक हटाया गया!
एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में जम्मू कश्मीर के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) एसपी वैद को अनौपचारिक ढंग से उनके पद से हटा दिया गया. बताया जा रहा है कि कठुआ रेप और हत्या के मामले को वैद ने जिस तरह से हैंडल किया है, उससे केंद्र सरकार नाराज चल रही थी और यह फैसला उसी का नतीजा है. सरकार ने अब जम्मू कश्मीर के नए डीजीपी की तत्काल जिम्मेदारी वर्ष 1987 बैच की आईपीएस अधिकारी दिलबाग सिंह को दी है. स्थायी तौर पर नियुक्ति बाद में तय होनी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के नव नियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार देर रात अचानक वैद का ट्रांसफर परिवहन विभाग के कमिश्नर के रूप में कर दिया और डायरेक्टर जनरल (जेल) दिलबाग सिंह को राज्य के नए डीजीपी की जिम्मेदारी सौंप दी. यह बदलाव ठीक सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के तुरंत बाद हुआ है जिसमें कोर्ट ने डीजीपी के नियुक्ति के नाम का क्लियरेंस यूपीएससी से लेना अनिवार्य करने के आदेश जारी किए थे.
सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार पहले ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा चुकी थी. श्रीगर और नई दिल्ली में मौजूद सूत्रों के मुताबिक हालांकि वैद ने केंद्र सरकार को अब तक के कामों की अच्छी रिपोर्ट दी थी, लेकिन जब से कठुआ रेप केस की जांच और चार्जशीट ने सांप्रदायिक रूप ले लिया, तब से वैद को लेकर केंद्र सरकार की नाराजगी बढ़ती चली गई. इस केस में पुलिस के खिलाफ बड़े स्तर प्रदर्शन किए गए थे. संयोग से वैद भी जम्मू क्षेत्र के कठुआ से ही आते हैं. एक अधिकारी ने कहा कि वैद ने अपना काम एक पेशेवर के तौर पर किया, वो भी बिना किसी भेदभाव के, बावजूद भाजपा ने दिल्ली में इसकी प्रशंसा नहीं की.
वैद पर यह आरोप भी लगाए गए वह उस समय की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की राजनीतिक भावनाओं से प्रेरित आदेश का पालन किया, न कि पेशेवर के रूप में काम किया. बताया यह भी जा रहा है कि हाल में जम्मू कश्मीर के पुलिसकर्मियों की 12 रिश्तेदारों के अपहरण का मामला भी काफी गरमा गया था. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को बदलने के समय की आलोचना करते हुए कहा कि एसपी वैद को हटाने की जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नहीं थी और स्थायी व्यवस्था किए जाने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए था. जम्मू कश्मीर पुलिस के पास पहले से ढेरों समस्याएं हैं.