भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के कारनामों को देख एसटीएफ भी खुद हैरान है। ठगी की पटकथा शातिरों ने ऐसी लिखी कि अभ्यर्थी समझ नहीं पाए कि कब उन्हें कंगाल कर दिया गया।
दरअसल, 2017 में एफसीआइ में लिपिकों की भर्ती निकली थी। शातिरों ने इसी भर्ती को आधार बनाकर ठगी की योजना बना डाली। गिरोह ने विभिन्न जिलों में अपने मीडिएटरों से आवेदन मंगवाए और ठगी का जाल बिछाना शुरू कर दिया। गिरोह ने अलग-2 स्टेजों में अभ्यर्थियों से पैसे लिए। अभ्यर्थियों को एफसीआइ के फर्जी पहचान पत्र जारी करते हुए उन्हें ट्रेनिंग के लिए गोरखपुर बुलाया। इसके बाद अभ्यर्थियों को दिल्ली लेकर आए, जहां एक बड़े अस्पताल में उनका मेडिकल हुआ। यहां भी एक टीम तैनात थी, जिसने 500-500 रुपये लिए और खून के सैंपल लेकर उन्हें वापस भेज दिया। अभ्यर्थियों को विश्वास दिलाने के लिए शातिरों ने अस्पताल के बाहर अभ्यर्थियों की एक फोटो भी खिंचवाई।
अभ्यर्थियों का करवाया सत्यापन
अभ्यर्थियों को विश्वास दिलाने के लिए शातिरों ने उनका सत्यापन भी करवाया। पुलिस ने उनके घर-घर जाकर सत्यापन किया। पुलिस जब सत्यापन करने के लिए अभ्यर्थियों के घर पहुंची तो अभ्यर्थियों को विश्वास हो गया कि उनकी नौकरी लगने वाली है। पूरा प्रोसेस होने के बाद शातिरों ने अभ्यर्थियों के घर डाक से ऑफर लेटर भी भेजा। इसमें 28 फरवरी को ज्वाइन करने की डेट दी गई थी। ऑफर लेटर में पद का नाम, वेतन का भी जिक्र किया गया था।
पौड़ी, टिहरी व चमोली के अभ्यर्थियों को बनाया शिकार
एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि शातिरों ने पौड्री, टिहरी और चमोली जिले के अभ्यर्थियों को शिकार बनाया। इनमें एक युवती भी शामिल है। ठगी के शिकार हुए अभ्यर्थियों में से किसी ने डेढ़ लाख तो किसी ने 10 लाख रुपये तक भी शातिरों के खातों में डाल दिए थे।
केस-1
जमीन खरीदने के लिए रखे थे पैसे
ठगी की शिकार हुई कोटद्वार निवासी युवती ने बताया कि उनके पिता बैंक में कार्यरत हैं। उन्होंने देहरादून में जमीन खरीदने के लिए लोन लिया था। आरोपितों ने नौकरी लगवाने के नाम पर उनसे यह रकम ठग ली।
केस-2
पैसे वापस मांगे तो धमकाया
टिहरी के एक युवक ने बताया कि उनकी पहचान 2017 में विकास चंद्र से हुई थी। विकास ने सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपये ले लिए। ठगी का पता चलने पर जब विकास से पैसे वापस मांगे तो वह धमकाने लगा।