फोर्टिस हेल्थकेयर, रेलीगेयर और देश की दवा बनाने वाली बड़ी कंपनी रैनबैक्सी जैसी नाम कंपनियों की शुरुआत करने वाले बड़े भाई मलविंदर सिंह और छोटे भाई शिविंदर सिंह की आपसी व व्यापारिक कलह बढ़ती ही जा रही है। शिविंदर सिंह की याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT)ने बड़े भाई मलविंदर मोहन सिंह तथा रेलिगेयर के पूर्व चीफ सुनील गोधवानी समेत कुछ अन्य लोगों के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है। वो सिंह भाई जो कभी एक-दूसरे का हमसाया माने जाते थे उनके बीच का कलह सामने आ गया है।
बता दें कि अपनी याचिका में शिविंदर ने अपने बड़े भाई मलविंदर और सुनील गोधवानी पर धोखाधड़ी के संगीन आरोप लगाए हैं। शिविंदर की याचिका के अनुसार उन्होंने अपने भाई और सुनील के खिलाफ आरएचसी होल्डिंग, रेलिगेयर और फोर्टिस में उत्पीड़न और कुप्रबंधन को लेकर एनसीएलटी में मामला दायर किया है। यही नहीं इसके साथ ही शिविंदर ने बड़े भाई मलविंदर को बिजनेस पार्टनरशिप से भी अलग कर दिया है।
मामला दायर हो जाने के बाद एनसीएलटी के अध्यक्ष जस्टिस एमएम कुमार की अध्यक्षता वाली 2 सदस्यीय खंडपीठ ने मलविंदर सिंह समेत अन्य आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए 10 दिन के अंदर जवाब मांगा है। एनसीएलटी ने शिविंदर को भी अपनी बात रखने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है। एनसीएलटी ने शिविंदर, उनकी पत्नी अदिति और मलविंदर सिंह को दस्तावेजों की जांच करने और आरएचसी होल्डिंग्स के रिकॉर्ड्स की फोटोकॉपी लेने की इजाजत दे दी है। गौरतलब है कि शिविंदर ने इसकी मांग याचिका में ही की थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।
आज जो शिविंदर अपने बड़े भाई पर धोखाधड़ी और कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं, एक दिन था जब वही अरबों का कारोबार छोड़ संत बन गए थे। लेकिन अब वह लौट आए हैं उसके साथ ही परिवार में कलह भी खुलकर सामने आ गई है। हमारी इस स्टोरी में पढ़िए आखिर क्यों शिविंदर बन गए थे संत और फिर क्यों गृहस्थ जीवन में लौट आए।
शिविंदर करोड़ों की कंपनी बड़े भाई को सौंप बन गए थे संत
एक दौर था जब सिंह भाइयों की आपसी साझेदारी के किस्से हर जुबान पर होते थे। बिजनेस की दुनिया का इतना बड़ा नाम जो आज कोर्ट के पचड़ों तक जा पहुंचा है, कभी इन्हें एक-दूसरे का हमसाया कहा जाता था। भाई पर विश्वास इतना था कि शिविंदर उनको करोड़ों-अरबों का कारोबार सौंप संत बनने चले गए थे।
ये बात 2015 की है। साल 2015 में शिविंदर अपना पूरा कारोबार बड़े भाई मलविंदर को सौंप राधा स्वामी सतसंग ब्यास में संत बन गए थे। इतना ही नहीं शिविंदर ने फोर्टिस हेल्थकेयर के एग्जीक्यूटिव का पद भी त्याग दिया था। मालूम हो कि ब्यास धार्मिक गतिविधि से जुड़ा संगठन है। इसके साथ ही ब्यास और सिहं भाइयों के पारिवारिक संबंध भी हैं। इस संस्था के अनुयायी उत्तर भारत में बड़ी संख्या में हैं।
शिविंदर ने 18 साल पहले रखा कारोबार की दुनिया में कदम
करीब दो दशक तक एक-दूसरे की परछाई कहे जाने वाले सिंह ब्रदर्स एक दूसरे का पर्याय समझे जाते थे। शिविंदर ने ये बात खुद कही कि लोग हमें एक दूसरे का पर्याय समझते थे। शिविंदर आगे बोले कि सच तो ये है कि मैं हमेशा ही बड़े भाई का समर्थन करने वाले छोटे भाई की तरह ही रहा। उन्होंने बताया कि वो सिर्फ फोर्टिस के लिए काम करते रहे। 2015 में राधास्वामी सत्संग, ब्यास से जुड़ गया।
शिविंदर का कहना है कि उन्हें लगा था कि वह एक जिम्मेदार और भरोसेमंद हाथ में कंपनी छोड़ गए थे, लेकिन दो साल में कंपनी की हालत बहुत खराब हो गई। वो कहते हैं कि सिर्फ परिवार की प्रतिष्ठा बचाने के लिए ही वो अब तक चुप थे। ब्यास से लौटने के बाद वो कई महीनों से कंपनी को संभालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन नाकाम रहे।
बिजनेस की दुनिया में कदक रखने के बारे में शिविंदर ने बताया कि उन्होंने करीब 18 साल पहले कारोबार की दुनिया में कदम रखा था। 43 वर्षीय शिविंदर अपने मलविंदर से 3 साल छोटे हैं। पहले दोनों भाइयों के पास फोर्टिस हेल्थकेयर की लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। आज फोर्टिस अस्पताल किसी परिचय का मोहताज नहीं है। दोनों भाइयों की मेहनत से आज देशभर में इसके दो दर्जन से ज्यादा अस्पताल हैं।
स्टीफेंस के छात्र रहे हैं शिविंदर
शिविंदर की स्कूलिंग दून स्कूल और सेंट स्टीफंस में हुई है। आंकड़ों में बेहद तेज माने जाने वाले शिविंदर ने गणित से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद एमबीए करने के लिए वह ड्यूक यूनिवर्सिटी चल गए। वहां से एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने 18 साल पहले कारोबार की दुनिया में कदम रखा।