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रविवार को ग्लेशियर टूटने के बाद आई जल प्रलय से तपोवन जल विघुत परियोजना के बाहर तबाही का मंजर पसरा है। टनल के बाहर भी मलबा और भीतर कई मीटर तक कीचड़ ही कीचड़ है। लापता लोगों की तलाश में जुटी रेस्क्यू टीम को टनल के अंदर एक-एक कदम उठना भी किसी मुसीबत से कम नहीं। कब कहां पांव धंस जाए पता नहीं।
सोमवार को टनल में रेस्क्यू अभियान चला रही एसडीआरएफ टीम को कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा। टलन के भीतर के हालात में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। एडीआरएफ के कमांडेंट नवनीत भुल्लर की कमान में रेस्क्यू टीम आज भी टनल से कीचड़ को हटाकर भीतर फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए जूझती रही। लेकिन टनल में कई-कई फीट मोदी गाद जमा है।
भुल्लर और उनके साथ हेड कांस्टेबल नवनीत भुल्लर कमांडेट एसडीआरएफ हेड कांस्टेबल एससी भागा, देवेंद्र नेगी, कांस्टेबल राकेश राणा, गब्बर सिंह, रवि चौहान, संजय उप्रेती टनल में गए। लेकिन भीतर कीचड़ में आगे बढ़ते हुए पूरी तरह से कीचड़ में ही लथपथ हो गए। देर शाम तक रेस्क्यू टीम मलबे की सफाई के लिए जूझती रही, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई।
भुल्लर ने बताया कि भीतर बोल्डर काफी जमा है। इससे मैन्युअली काम करना बहुत कठिन है। जेसीबी की मदद से ही बोल्डर को हटाया जा रहा है। 80 मीटर तक टनल को साफ कर लिया गया है। आगे गाद टनल की छत तक भरी है। सूत्रों के अनुसार आज रेस्क्यू अभियान को नेवी टीम का साथ भी मिल गया है।