उत्तराखंडप्रदेश

चमोली आपदा : राहत बचाव व खोज के मोर्चे पर सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी

देश में जब कभी भी विपदा आई, तब सेना समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने इससे निबटने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। सात साल पहले केदारनाथ में आई आपदा के बाद अब फिर से ऐसे हालात उपजे तो सुरक्षा एजेंसियों ने अग्रिम मोर्चे पर रहते हुए आपरेशन की कमान संभाली है। इनके बीच बेहतर तालमेल भी देखने को मिला है।

इस समय सुरक्षा एजेंसियों का पूरा फोकस तपोवन विष्णुगाड परियोजना की टनल में फंसे हुए व्यक्तियों को निकालने पर है। इसके लिए लगातार प्रयास भी चल रहे हैं। टनल के भीतर खोदाई व सर्च आपरेशन में इस समय सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ संयुक्त रूप से अभियान चला रही है। टनल के आसपास खोज अभियान में सेना व आइटीबीपी लगी हुई है। शेष स्थानों पर बचाव राहत व खोज का कार्य एसडीआरएफ के जरिये चलाया जा रहा है। एसडीआरएफ के जवान ऋषिगंगा, धौलीगंगा और अलकनंदा के आसपास अभियान चला रहे हैं। आइटीबीपी के जवान संपर्क से कटे गांवों तक पैदल पहुंच कर खाद्यान्न व अन्य जरूरी समान पहुंचाने का काम भी कर रहे हैं। बार्डर रोड आर्गनाइजेशन इस समय भारत चीन सीमा के बीच वैली ब्रिज बनाने के काम में तेजी से जुटा हुआ है।

वायुसेना का मुख्य काम प्रभावित क्षेत्रों से देहरादून तक विशेषज्ञों को लाने ले जाने के साथ ही उपकरण व रसद पहुंचाने का है। वहीं, नौसेना के कमांडों यानी मार्कोस टनल के बाहर मुस्तैद है। मकसद यह कि यदि यदि टनल से मलबा हट जाता है और भीतर पानी होता है तो फिर नौसेना के इन जवानों की रेस्क्यू अभियान चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वहीं, बुधवार शाम को मार्कोस ने श्रीनगर में कोटेश्वर झील में सर्च अभियान चलाया। हालांकि, झील में गाद अधिक होने के कारण इन्होंने यहां डुबकी नहीं लगाई।

सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती

  • एसडीआरएफ – 100 जवान
  • एनडीआरएफ – 154 जवान
  • आइटीबीपी – 425 जवान
  • एसएसबी – एक टीम
  • सेना – 106 जवान
  • नौसेना – 16 जवान
  • वायु सेना – दो जवान
  • सेना की मेडिकल टीम – दो टीम, दो एंबुलेंस
  • स्वास्थ्य विभाग – चार मेडिकल टीम (एक रैणी, तीन तपोवन)
  • अग्निशमन विभाग- 16 फायरमैन
  • राजस्व विभाग – 20 कार्मिक
  • पुलिस दूरसंचार – सात कार्मिक
  • सिविल पुलिस – 26 कार्मिक

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