भाजपा के एमएलसी बुक्कल नवाब ने शिया वक्फ बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसकी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। शासन को दिए इस्तीफे में उन्होंने बोर्ड को यूपी का सबसे बड़ा घोटाला वक्फ बोर्ड की संज्ञा दी है। यह भी कहा है कि उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के कहने पर बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी को वोट दिया था, जो उनकी गलती थी। साथ ही बोर्ड को भंग करने की मांग भी की है।
बुक्कल नवाब के इस्तीफा देने से एक बार फिर वक्फ बोर्ड को लेकर चल रही राजनीति गर्मा गई है। अपने त्यागपत्र में उन्होंने आजम खां के लिए भी बेहद आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किया है। उन्होंने लिखा है, शिया वक्फ बोर्ड का सदस्य होने के बाद मैंने आज तक बोर्ड की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसे तत्काल भंग करने की सिफारिश करते हुए बोर्ड की मेंबरशिप से इस्तीफा देता हूं।
जिस वक्त बुक्कल इस्तीफा देने प्रमुख सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण मनोज कुमार सिंह के दफ्तर पहुंचे, उस वक्त प्रमुख सचिव वहां नहीं थे। इसके बाद एमएलसी ने संबंधित सेक्शन में जाकर अपना त्यागपत्र रिसीव कराया। इस बारे में संपर्क करने पर मनोज सिंह ने कहा, बुक्कल नवाब का इस्तीफा उन्हें मिल चुका है। इसका नियमानुसार परीक्षण करवाने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य ही नहीं हैं बुक्कल : वसीम रिजवी
उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी
उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने शासन को पत्र भेजकर कहा है कि मजहर अली खां उर्फ बुक्कल नवाब बोर्ड के सदस्य ही नहीं हैं। उनका कहना है कि जब 27 जुलाई 2017 को बुक्कल नवाब ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिया था, उसी वक्त उनकी बोर्ड की सदस्यता भी समाप्त हो गई थी। उन्होंने तब से रिक्त चल रहे इसस्थान पर किसी सदस्य की नियुक्ति का भी अनुरोध किया है।
वसीम रिजवी ने प्रमुख सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ को भेजे पत्र में कहा है कि 28 मई 2015 को जारी अधिसूचना के तहत बुक्कल नवाब शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य निर्वाचित घोषित किए गए थे। इसके बाद उन्होंने 27 जुलाई 2017 को विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वक्फ अधिनियम 1995 की धारा-14 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, जिस दिन बुक्कल नवाब का परिषद की सदस्यता से इस्तीफा स्वीकृत हुआ, उसी दिन उनकी बोर्ड की सदस्यता खत्म हो चुकी है।
बुक्कल के पुन: एमएलसी बनने के बाद बोर्ड का भी दोबारा सदस्य नियुक्त करने या निर्वाचित होने के संबंध में शासन ने कोई अधिसूचना जारी नहीं की। इसलिए 2017 में जब बुक्कल का विधान परिषद सदस्यता से दिया गया इस्तीफा स्वीकृत हो गया था, तब से वह बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। वक्फ अधिनियम के तहत सदस्य का स्थान रिक्त है। इसलिए नियमानुसार उनके स्थान पर नए सदस्य की नियुक्ति के संबंध में निर्वाचन प्रक्रिया अपनाते हुए कार्यवाही पूरी की जाए।