भारत बंदः राहुल गांधी भी नहीं फूंक पाए प्रदर्शन में जान, भाजपा हुई खुश
पेट्रो पदार्थो में मूल्य वृद्धि के विरोध को धार देने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजघाट से रामलीला मैदान तक करीब दो किमी. की पैदल यात्र की। रामलीला मैदान के नजदीक पेट्रोल पंप पर उन्होंने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भाषण भी दिया, लेकिन उनका यह प्रयास भी कांग्रेस पार्टी के ‘भारत बंद’ आंदोलन में जान नहीं फूंक पाया। सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के सभी बाजार खुले रहे। सुबह कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेताओं को चौंकाते हुए राहुल गांधी अचानक राजघाट पहुंचे। उनके साथ कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी रहे। वहां उन्होंने मानसरोवर तालाब से लाए जल को बापू की समाधि को अर्पित करते हुए रामलीला मैदान की ओर कूच किया।
दिल्ली गेट के सामने उन्होंने उस बहादुर शाह जफर मार्ग को पार किया जहां से पिछले माह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरे थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्र में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, कई केंद्रीय मंत्रियों व मुख्यमंत्रियों के साथ नरेंद्र मोदी, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग से विजय घाट तक पांच किमी पैदल चले थे। राहुल गांधी की पैदल यात्र से दिल्ली पुलिस के जवान सांसत में रहे तो कुछ घंटे तक यातायात व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त रही। इससे दिल्ली गेट, रिंग रोड व रामलीला मैदान के आस-पास की सड़कों पर जाम की स्थिति रही।
इस बात की चर्चा रही कि राहुल के प्रयास के बाद भी बंद बहळ्त असरदार नजर नहीं आया। राहळ्ल की मौजूदगी के कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं में तो थोड़ी सक्रियता नजर आई लेकिन इसके बाद भी कार्यकर्ता बंद से आम आदमी को जोड़ने में कारगर नहीं हो सके।
अजय माकन ने कहा कि महंगाई आज आसमान छू रही है और न सिर्फ गरीब बल्कि मध्यम वर्ग को भी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जबकि दोनों सरकारों ने चुनाव के समय महंगाई कम करने का वादा किया था। माकन ने कहा कि यदि केंद्र व दिल्ली सरकार पेट्रोल- डीजल पर बढ़ी हुई एक्साइज एवं वैट दरें तुरंत प्रभाव से कम कर दे, तो दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 45 रुपये प्रति लीटर से ऊपर नही होंगी।
दिल्ली में बंद बेअसर होने से गदगद भाजपा
पेट्रोल व डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के खिलाफ कांग्रेस व अन्य पार्टियों द्वारा सोमवार को बुलाया गया भारत बंद दिल्ली में बेअसर रहा, इससे भाजपा गदगद है। पहले इसे लेकर जो भाजपा नेता चिंतित थे वे अब कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (AAP) पर पलटवार कर उन्हें कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने अरविंद केजरीवाल सरकार और कांग्रेस शासित राज्यों में पेट्रोल व डीजल पर लगाए गए वैट में कटौती करने की भी चुनौती दे दी है। पार्टी के नेता अब लोगों के बीच भी जाएंगे, जिससे कि विरोधी पार्टियों को इसे लेकर दुष्प्रचार करने का मौका न मिले।
पेट्रोलियम पदार्थो के दाम को विपक्ष मुद्दा बना रहा है। कांग्रेस ने अन्य विपक्षियों पार्टियों के साथ मिलकर सोमवार को भारत बंद भी बुलाया, लेकिन दिल्ली में इसका असर नहीं दिखा। कई व्यापारिक संगठनों ने पहले ही बंद में शामिल होने से इन्कार कर दिया था, वहीं आम जनता भी इसे लेकर उत्साहित नहीं दिखी।
आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के आंदोलन में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी, लेकिन इसके कई बड़े नेता कांग्रेस के साथ ताल मिलाते दिखे। इसके बावजूद दिल्लीवासियों को सड़क पर लाने में वे नाकाम रहे हैं। इससे उत्साहित भाजपा नेता कह रहे हैं कि दिल्लीवासियों ने कांग्रेस व आप के दोहरे चरित्र को पहचान गए हैं इसलिए उनके झांसे में नहीं आए। उन्हें मालूम है कि दोनों ही पार्टियां इस मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहा रही हैं।
भाजपा का कहना है कि यदि आप व कांग्रेस को लोगों की चिंता होती तो राजस्थान की तरह दिल्ली, कर्नाटक व पंजाब में पेट्रोलियम पदार्थों पर लगाए गए वैट की दरों में कटौती कर लोगों को राहत पहुंचाती। केंद्र सरकार जब लोगों को राहत देने के लिए पेट्रोल व डीजल पर एक्साइज में कमी की थी उस समय अरविंद केजरीवाल सरकार ने वैट के दरों में वृद्धि कर दी थी। पिछले तीन वर्षों में इस सरकार ने मनमाने तरीके से पेट्रोल पर 12 फीसद तथा डीजल पर 10.5 फीसद वैट बढ़ाया है, इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
विजेंद्र गुप्ता (दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष) का कहना है कि दिल्ली में भारत बंद काग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के लिए फ्लॉप शो साबित हुआ। बंद पूरी तरह से असफल रहा क्योंकि दिल्लीवासी इस बंद से दूर रहे। दिल्लीवासी बधाई के पात्र हैं कि वे विपक्ष के फर्जी जाल में नहीं फंसे। पेट्रोल व डीजल पर बढ़ाए गए वैट को सरकार वापस ले।
प्रवीण शकर कपूर (दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता) के मुताबिक, कांग्रेस दिल्ली में राजनीतिक वापसी की आस में सीलिंग एवं महंगाई जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जनभावनाओं को भड़काने की कोशिश करती रहती है पर पूरी तरह सजग दिल्ली वाले उनके झांसे में नहीं आए। जनता ने भारत बंद के आह्वान को पूरी तरह से नकार दिया