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आचार्य चाणक्य ने बताया जीवन में सफल होने के ये गुण

आचार्य चाणक्य की कुशाग्र बुद्धि और तार्किकता से सभी लोग प्रभावित थे. उनकी यही वजह है कि वह कौटिल्य कहे जाने लगे. वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विख्‍यात हुए.

उन्‍होंने नीति शास्त्र की रचना की और इसके माध्‍यम से अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर कई महत्‍वपूर्ण बातें बताई हैं. साथ ही उन्‍होंने दुष्‍ट लोगों के बारे में कहा है कि ऐसे लोग जो दूसरे लोगों की खामियों को अन्‍य लोगों के सामने उजागर करते हैं वे उस छोटी सी चींटी से भी नष्‍ट हो जाते हैं.

जिस तरह एक सांप चींटियों के टीलों में जाकर मर जाता है. इसके अलावा उन्‍होंने कई अन्‍य अहम बातों की ओर भी ध्‍यान दिलाया है. आचार्य चाणक्य द्वारा वर्णित नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं. आप भी जानिए चाणक्‍य नीति की खास बातें-

यही सबसे बढ़िया औषधि
चाणक्‍य नीति के अनुसार अमृत सबसे बढ़िया औषधि है. इन्द्रिय सुख में अच्छा भोजन सर्वश्रेष्ठ सुख है. नेत्र सभी इन्द्रियों में श्रेष्ठ है और इसी तरह मस्तक शरीर के सभी भागों मे श्रेष्ठ है.

ऐसा व्‍यक्ति रक्षा नहीं कर सकता
आचार्य चाणक्‍य के अनुसार जिसके डांटने से सामने वाले के मन में डर नहीं पैदा होता और प्रसन्न होने के बाद जो सामने वाले को कुछ देता नहीं है. वह न किसी की रक्षा कर सकता है न ही किसी को नियंत्रित कर सकता है. ऐसा आदमी भला क्या कर सकता है.

मन में डर पैदा करने को पर्याप्त
चाणक्‍य नीति कहती है कि यदि नाग अपना फन खड़ा करे तो भले ही वह जहरीला न हो, तो भी उसका यह करना सामने वाले के मन में डर पैदा करने को पर्याप्त है. यहां यह बात कोई मायने नहीं रखती की वह जहरीला है कि नहीं.

ऐसे लोग हो जाते हैं नष्‍ट
चाणक्‍य नीति कहती है कि ऐसे दुष्‍ट लोग जो अन्‍य लोगों की गुप्त खामियों को दूसरे लोगों के सामने उजागर करते फिरते है, वे उसी तरह नष्ट हो जाते है जिस तरह कोई सांप चींटियों के टीलों में जा कर मर जाता है.

इनको इन्द्र के समान मिलेगा वैभव
आचार्य चाणक्‍य के अनुसार आपको इन्द्र के समान वैभव प्राप्त होगा यदि आप अपने भगवान के गले की माला अपने हाथों से बनाते हैं.

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