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जाने तुलसी के पत्तों का सेवन करने से यूरिक एसिड कंट्रोल के साथ साथ और क्या है फायदे

तुलसी का पौधा केवल पूजा करने के काम ही नहीं आता. ये कई तरह के स्वास्थ लाभ देने के काम भी आता है. कोरोना काल में भी लोगों को स्वास्थ लाभ पहुंचाने की भूमिका तुलसी ने निभाई है, जिससे इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है.

तुलसी के पत्तों, बीजों और रस का सेवन करने से केवल इम्यूनटी ही नहीं बढ़ती बल्कि ये बड़े हुए यूरिक एसिड के साथ कई और तरह की दिक्कतों को भी कम करने में सहायक है.

आइए बताते हैं कि तुलसी का इस्तेमाल किस तरह से किया जा सकता है. तुलसी में अलसोलिक एसिड, यूजेनॉल और एंटी ऑक्सीडेंट काफी मात्रा में होते हैं जो बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं.

बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए आप 6-7 तुलसी के पत्ते तोड़कर धो लें. इसके साथ 5 कालीमिर्च के दाने लें और ज़रा सा देशी घी मिलाकर इसका सेवन करें. ऐसा लगातार एक महीने तक करें.

तुलसी के 10-12 पत्तों का रोज़ाना सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. इससे डायबटीज़ का खतरा काम होता है.
पथरी की होने पर तुलसी के 7-8 पत्तों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से पथरी की दिक्कत दूर होती है.
मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के बीजों का सेवन किया जा सकता है. इससे फायदा होगा और कमज़ोरी भी दूर होगी.
मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए भी रोज़ाना तुलसी के 4-5 पत्तों का सेवन कर सकते हैं.
टायफाइड को दूर करने के लिए तुलसी के 20 पत्तों और 10 कालीमिर्च के दानों को मिलाकर काढ़ा बनाकर पी सकते हैं.
त्वचा रोग में भी तुलसी लाभकारी है. इसके 20 पत्तों के रस का सेवन रोजाना करने से, त्वचा रोग में लाभ होता है.
साइनोसाइटिस की परेशानी में तुलसी के पत्तों और बीजों को मसलकर सूंघने से काफी फायदा होता है.
तुलसी के बीजों को पीसकर इसमें गुड़ मिलाकर, गाय के दूध के साथ सेवन करने से इम्पोटेंसी की दिक्कत दूर होती है.
पुरुषों में शारीरिक कमजोरी होने पर तुलसी के बीजों का सेवन काफी मदद करता है.
तुलसी के 10 पत्तों को एक ग्राम जीरे के साथ पीसकर, इसका शहद में मिलाकर सेवन करने से डायरिया ठीक होता है.

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