नीरा को लेकर बैकफुट पर बाइडन: मुश्किल भरा हो सकता है उनका राष्ट्रपति कार्यकाल, जानिए पूरा मामला
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन को सीनेट में अपनी ही पार्टी ने एक बड़ा झटका दिया है। सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी में एकता को दिखाने और पार्टी के अंदर आतंरिक कलह से बचने के लिए व्हाइट हाउस ने मंगलवार को नीरा टंडन का नाम बजट निर्देशक के पद से वापस ले लिया है। अमेरिका की राजनीति में इसके क्या निहितार्थ होंगे। बाइडन प्रशासन के लिए यह क्या संकेत हैं। बाइडन प्रशासन के समक्ष चार वर्षों में अमेरिका की राजनीति में इसका क्या असर पड़ेगा। व्हाइट हाउस के इस फैसले के बाद आखिर क्यों गदगद हुए चीन और पाकिस्तान।
बाइडन की सीनेट ही नहीं अपनी पार्टी में पकड़ ढीली
प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि नीरा टंडन का बजट निर्देशक पद से नाम वापस लेना बाइडन प्रशासन के लिए शुभ नहीं है। उन्होंने कहा पार्टी के आंतरिक कलह को छिपाने के लिए व्हाइट हाउस ने यह फैसला लिया है। खासकर तब जब राष्ट्रपति बाइडन सीनेट में और अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटरों से नीरा टंडन की वकालत करते रहे। प्रो. पंत का कहना है कि इससे एक बात तो साफ हो गई है कि बाइडन की अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी में पकड़ ढीली है। उन्होंने कहा कि मसला नीरा टंडन के नाम वापसी का नहीं है। अभी बाइडन को चार वर्षों तक व्हाइट हाउस में रहना है। बाइडन को इन चार वर्षों में आंतरिक और वाह्य बहुत सारे कठिन फैसले लेने होंगे। ऐसे में यह तय हो गया है कि सीनेट में इन फैसलों को पास कराने में उनको एक बड़ी मुश्किल का सामना करना होगा। ऐसे में यह कहना आसान होगा कि बाइडन के लिए उनके चार वर्षों का कार्यकाल मुश्किल भरा होगा। खासकर तब जब रिपब्लिकन के अलावा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राजनीति में सक्रिय हैं और खुद बड़े विपक्ष की भूमिका में दिख रहे हैं।
व्हाइट हाउस के फैसले से गदगद हुआ पाकिस्तान
प्रो. पंत का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत के बाद उनके प्रशासन में भारतीय-अमेरिकी लोगों के वर्चस्व ने पाकिस्तान और चीन की चिंता बढ़ना लाजमी है। व्हाइट हाउस में पहली बार 20 भारतीयों को प्रवेश मिला। व्हाइट हाउस में भारतीयों के वर्चस्व को लेकर पाकिस्तान और चीन दोनों मायूस हुए होंगे। खासकर नीरा टंडन के बजट निर्देशक के पद पर नियुक्ति को लेकर दोनों देशों की चिंता बढ़ी होगी। अब व्हाइट हाउस के फैसले के बाद पाकिस्तान और चीन निश्चित रूप से गदगद होंगे। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को लेकर व्हाइट हाउस में भारतीयों के वर्चस्व को लेकर उसकी चिंता लाजमी है। बाइडन प्रशासन की मुश्किलों से चीन भी खुश होगा कि चीन तो चाहता है कि बाइडन आंतरिक राजनीति में उलझे रहें। खासकर कोरोना महामारी के बाद जिस मुश्किल हालात से अमेरिका गुजर रहा है, उसमें राजनीति सत्ता की अस्थिरता चीन के लिए शुभ है।
बाइडन ने कहा-नीरा के अनुरोध को स्वीकार किया
राष्ट्रपति बाइडन ने मंगलवार को अपने एक बयान में कहा कि मैंने नीरा टंडन के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है, जिसमें कहा गया था कि ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट और बजट की प्रमुख के पद के लिए उनका नाम वापस ले लिया जाए। बाइडन ने कहा कि उन्होंने टंडन की क्षमता के हिसाब से अपने प्रशासन में कोई पद देने की योजना बनाई है। व्हाइट हाउस द्वारा जारी किए गए राष्ट्रपति के पत्र में टंडन ने स्वीकार किया कि उनका नामांकन अब एक कठिन चढ़ाई से अधिक हो चला था। उन्होंने कहा कि उनके पास व्हाइट हाउस में काम का लंबा अनुभव है। वह बिल क्लिंटन और बराक ओबामा के प्रशासन में व्हाइट हाउस में कार्य कर चुकी हैं। मौजूदा समय में वह अमेरिकी प्रगति के लिए काम कर रही हैं।