4 मार्च को हर साल राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का किया जाता है आयोजन
भारत में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 2019 में 4 लाख 21 हजार 104 लोगों की आकस्मिक मौत हुई.
सिर्फ यातायात दुर्घटनाओं के आंकड़े 4 लाख 67 हजार 171 दर्ज किए गए. अक्सर नियमों के उल्लंघन के नतीजे में होनेवाली आकस्मिक मौत को रोकने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल की स्थापना की है.
उसका मकसद दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अपनाए जानेवाले सुरक्षात्मक उपायों के बारे में जागरुकता फैलाना है. 4 मार्च को हर साल राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल के गठन की याद में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का आयोजन किया जाता है.
आज 50वें राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के मौके पर काउंसिल का इतिहास और दिवस के महत्व को तलाश करना जरूरी है.
इतिहास- श्रम और रोजगार मंत्रालय ने औद्योगिक सुरक्षा पर पहली कांफ्रेंस 1965 में 11 दिसंबर से लेकर 13 दिसंबर तक आयोजित की. उस मौके पर तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन मौजूद थे. कांफ्रेंस में राष्ट्रीय और राज्यकीय स्तर पर सुरक्षा परिषद् की जरूरत पर सहमति जताई गई.
फरवरी 1966 में, श्रम पर स्थायी समिति के 24वें सत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को मंजूरी मिली. 4 मार्च, 1966 को, भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने एक इकाई के तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना की.
परिषद का पंजीकरण सोसायटी पंजीकरण कानून, 1860 के तहत किया गया. इसके अलावा, परिषद बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट कानून, 1950 के तहत भी रजिस्टर हुआ. राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस अभियान की शुरुआत एक दशक बाद 4 मार्च, 1972 को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद स्थापना दिवस को मनाने के लिए हुई.
महत्व- राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस सुरक्षा संबंधी गाइडलाइन्स, विशेषकर सड़क सुरक्षा, कार्य स्थल सुरक्षा, वातावरण और इंसानी स्वास्थ्य की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. इसके तहत मनाई जानेवाली गतिविधि को संयुक्त रूप से सुरक्षा, स्वास्थ्य और वातावरण अभियान का नाम दिया जाता है.
उद्देश्य- छपे हुए या इलेक्ट्रॉनिक संदेश की शक्ल में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की तरफ से तैयार सामग्रियों को वितरित और शेयर किया जाता है, जिससे परिषद की गतिविधियों के बारे में लोगों को जागरुक किया जा सके. अभियान का इरादा सुरक्षा और स्वास्थ्य मुद्दों को जीवन शैली के प्राकृतिक विस्तार और कार्य संस्कृति पर लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित बनाना है.
विषय- इस साल राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस या सप्ताह अभियान का विषय आपदा और सुरक्षित भविष्य जैसे विपत्तिपूर्ण घटनाओं को रोकने की तैयारी की जरूरत रखा गया है.