आत्मनिर्भर यूपी में 25,000 मेगावाट हुई पारेषण क्षमता
ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि 2017 में प्रदेश में सरकार बनते ही केंद्र के साथ ‘पावर फॉर ऑल‘ का समझौता कर ‘सबको बिजली पर्याप्त बिजली, निर्बाध बिजली‘ की दिशा में तेज गति से कार्य किये गये।
चार साल में 10844.39 करोड़ रुपये की लागत से 765 केवी, 400 केवी, 220 केवी और 132 केवी क्षमता के कुल 110 ट्रांसमिशन उपकेंद्रों का ऊर्जीकरण किया गया। प्रदेश की पारेषण क्षमता भी बढ़कर 25,000 मेगावाट हो गयी है। इससे प्रदेश को निर्बाध एवं ट्रिपिंग फ्री बिजली मिल सकेगी।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि 6,100 करोड़ रुपये की लागत से पारेषण परियोजनाओं का पीपीपी मोड पर कार्य किया जा रहा है और प्रदेश में 400 केवीए से उच्च प्रकृति के पारेषण कार्यों को भी पीपीपी मोड में संपादित करने के लिए कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की पारेषण क्षमता (टीसी) जो वर्ष 2016-17 में 16,348 मेगावाट थी। वर्ष 2019-20 में इसे 24,000 मेगावाट और 2020-21 में 25,000 मेगावाट तक बढ़ाया गया। वर्ष 2025 तक 198 पारेषण उपकेंद्रों के निर्माण से प्रदेश में 32,400 मेगावाट तक क्षमता हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि पारेषण तंत्र की विद्युत आयात क्षमता (टीटीसी) वर्ष 2016-17 में 7800 मेगावाट थी, वर्ष 2020-21 में आंतरिक उत्पादन 10400 मेगावाट के सापेक्ष 14,600 मेगावाट की जा रही है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा विगत चार साल में 1.30 लाख से अधिक मजरों में विद्युतीकरण का कार्य हुआ है। 1.38 करोड़ उपभोक्ताओं को निःशुल्क विद्युत के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। टोल फ्री नंबर 1912 जारी कर किसानों और उपभोक्ताओं की समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है।