उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत आज संभालेंगे अपना पदभार
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले तीरथ सिंह रावत आज अपना पदभार संभालेंगे. इससे पहले कल बैठक में उन्होंने महाशिवरात्रि और हरिद्वार कुंभ में पहले शाही स्नान को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए. फिलहाल नई सरकार में किसी मंत्री ने शपथ नहीं ली है.
तीरथ सिंह रावत आज सुबह 10 बजे पदभार ग्रहण करेंगे. इससे पहले कल देर शाम तीरथ सिंह रावत ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियो के साथ बैठक की और निर्देश दिए
कि हरिद्वार कुम्भ मेले में महाशिवरात्रि के अवसर पर पहले शाही स्नान में श्रद्धालुओं पर हैलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि श्रद्धालुओं को परेशानी न हो.
इससे पहले सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि केंद्र नेतृत्व ने मुझ पर विश्वास दिखाया है. मैं केंद्र नेतृत्व का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कहा है कि ‘सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास’ उसको लेकर हम आगे बढ़ेंगे. मैं आम जनता के सुख-दुख में उनके साथ खड़ा रहूंगा.
आज महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर सात सन्यासी अखाड़े करेंगे मां गंगा में स्नान जिसमें छह सन्यासी का एक ब्रह्मचारी अखाड़ा शामिल रहेगा. प्रशासन द्वारा अखाड़ों को शाही स्नान कराने की व्यवस्था इस क्रम में की गई है-
हरिद्वार कुम्भ मेले में गुरूवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर पहले शाही स्नान में श्रद्धालुओं पर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी। बीजापुर गेस्ट हाउस में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। कुंभ की भव्यता और दिव्यता सुनिश्चित की जाए ऐसी निर्देश दिए। pic.twitter.com/MQAJjzw88g
— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) March 10, 2021
सबसे पहले सुबह 8 बजे से लेकर सुबह 11 बजे तक का समय जूना अखाड़ा व अग्नि ,आवाहन और किन्नर अखाड़ा को स्नान के लिए दिया गया है.
जूना अखाड़े से निकलकर हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड में स्नान करेगा.
उसके बाद निरंजनी अखाड़ा अपने साथी आनंद के साथ अपनी छावनी से हर की पौड़ी पर पहुंचकर करेगा मां गंगा में स्नान.
बता दें कि देश भर में आज महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान शिव का पूजन अभिषेक करते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था.