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दिल्ली HC का बड़ा बयान, कहा- यौन उत्पीड़न की फर्जी केस दर्ज करना पड़ सकता है भारी

हाईकोर्ट ने छोटे-छोटे विवाद में यौन प्रताड़ना के फर्जी केस दर्ज करवाने की प्रवृत्ति पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने बोला कि अब वक़्त आ गया है कि उन लोगों के विरुद्ध  जांच की जाए जो इस प्रकार अपना मकसद हल करने के लिए झूठे केस दर्ज करवाते है। अदालत ने बोला कि यौन शोषण एक गंभीर अपराध है और ऐसे इलज़ाम से किसी अन्य की प्रतिष्ठा खराब हो रही है। अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए हालांकि दोनों पक्षों के मध्य हुए समझोते को देखते हुए दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी लेकिन शिकायतकर्ता पर 30 हजार रुपये जुर्माना जारी किया जा चुका है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम स्वामी ने 23 फरवरी को दिए निर्णय में कहा कि यह एक उच्च उद्हारण है भारतीय दंड संहित की धारा 354 व इससे जुड़ी अन्य धाराओं का किस प्रकार गलत उपयोग किया जाता है। अदालत ने बोला कि केस में पार्किंग विवाद में महिला ने किस प्रकार दूसरे पक्ष के विरुद्ध 12 मई 2017 को धारा 509,506, 323, 354ए के तहत मामला दर्ज की जानी चाहिए।

अब दोनों पक्ष अदालत से केस को रद्द करवाने के लिए इस तर्क के साथ आए है कि उनके मध्य मित्रों व परिवार के सदस्यों ने समझोता करवा दिया व उसे अपने गलती का अहसास है। जंहा इस बारें में अदालत ने कहा यह चलन बन गया है कि किसी पक्ष को उनके विरुद्ध शुरू की गई शिकायत को वापस लेने के लिए मजबूर करने या पक्ष को डराने के लिए उसके विरुद्ध यौन प्रताड़ना का केस दर्ज किया जाए। अदालत ने बोला है कि ऐसे में संबंधित व्यक्ति की प्रतिष्ठा खराब होती जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। जिसके अतिरिक्त कई केसों में तो छात्र आरोपी होते हैं। अदालत ने कहा यौन प्रताड़ना या शोषण एक गंभीर अपराध है और झूठे केस दर्ज करवाना कानून का दुरुपयोग है।

वहीं अपनी बात को जारी रखते हुए अदालत ने बोला कि यह भी सच्चाई है कि पुलिस फोर्स की बहुत कमी है और पुलिस ऐसे झूठे केसों की जांच में वक़्त खराब करती है उसे कोर्ट में भी सुनवाई में पेश होना पड़ता है। वहीं यह भी कहा गया है कि फिलहाल दोनों पक्षों ने समझोता कर लिया है और वे पडोसी होने के नाते सौहार्दपूण वतावरण में रहा ना चाहते है। ऐसे में मुकदमा चलाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। अत: वे केस में दर्ज प्राथमिकी रद्द  कर देते है। अदालत ने बोला कि इस केस में पुलिस का वक़्त खराब हुआ है। वे शिकायतकर्ता को चेतावनी दे रहे है कि भविष्य में इस प्रकार से झूठे केस दर्ज न करवाए। अदालत ने याची पर 30 हजार रुपये जुर्माना करते हुए यह राशि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सोशल सिक्योररिटी वेलफेयर फंड में जमा करवाने का निर्देश दिया है।

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