प्रधानमंत्री ने साबरमती आश्रम, अहमदाबाद में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ इण्डिया एट सेवेण्टी फाइव के पूर्वावलोकन कार्यकलापों का उद्घाटन किया
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से ‘पदयात्रा’ (स्वतंत्रता मार्च) को झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ इण्डिया एट सेवेण्टी फाइव के पूर्वावलोकन कार्यकलापों का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी ने ‘इण्डिया एट सेवेण्टी फाइव’ समारोहों के लिए विभिन्न सांस्कृतिक और डिजिटल इनिशियेटिव्स को लॉन्च भी किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी इस अवसर पर जनपद लखनऊ के काकोरी शहीद स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत की उपलब्धियां आज सिर्फ हमारी उपलब्धियां नहीं हैं, बल्कि यह पूरी दुनिया को रोशनी दिखाने वाली हैं। पूरी मानवता की उम्मीद को जगाने वाली हैं।
भारत की आत्मनिर्भरता से ओतप्रोत हमारी विकास यात्रा पूरी दुनिया की विकास यात्रा को गति देने वाली है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, पं0 नेहरू, सरदार पटेल आदि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों के भारत को बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अण्डमान में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने देश की पहली आजाद सरकार गठित कर तिरंगा फहराया था, देश ने उस विस्मृत इतिहास को भव्य आकार दिया है। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग का स्मारक हो या फिर पाइका आन्दोलन की स्मृति में स्मारक, सभी पर काम हुआ है।
बाबा साहब डॉ0 भीमराव आम्बेडकर से जुड़े जो स्थान दशकों से भूले-बिसरे पड़े थे, उनका भी विकास देश में पंचतीर्थ के रूप में किया गया है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि देश के इतिहास के गौरव को सहेजने के लिए पिछले 06 वर्षाें में सजगता से प्रयास किये गये हैं। तमिलनाडु की वेलू नाचियार पहली महारानी थीं, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
इसी तरह हमारे देश के आदिवासी समाज ने अपनी वीरता और पराक्रम से लगातार विदेशी हुकूमत को घुटने टेकने पर मजबूर किया था। झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों को चुनौती दी थी, तो मुर्मू भाइयों ने संथाल आंदोलन का नेतृत्व किया।
ओडिशा में चक्रा बिसोई ने लड़ाई छेड़ी, तो लक्ष्मण नायक ने गांधीवादी तरीकों से चेतना फैलाई। आंध्र प्रदेश में मण्यम वीरुडु यानी जंगलों के हीरो अल्लूरी सीरारराम राजू ने रम्पा आंदोलन का बिगुल फूंका।
पासल्थाखुन्गचेरा ने मिजोरम की पहाड़ियों में अंग्रेजों से लोहा लिया था। गोमधर कोंवर, लसित बोरफुकन और सीरत सिंग जैसे असम और पूर्वाेत्तर के अनेकों स्वाधीनता सेनानी थे,
जिन्होंने देश की आजादी में योगदान दिया। गुजरात में जांबूघोड़ा में नायक आदिवासियों का बलिदान हो या फिर मानगढ़ में सैकड़ों आदिवासियों का नरसंहार हो, देश इनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आजादी के आन्दोलन की इस ज्योति को निरन्तर जागृत करने का काम पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण हर दिशा हर क्षेत्र में हमारे सन्तों, महन्तों, आचार्याें ने किया था। भक्ति आन्दोलन ने राष्ट्रव्यापी स्वाधीनता आन्दोलन की पीठिका तैयार की थी।
सन् 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह की ताकत फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज का दिल्ली मार्च, दिल्ली चलो का नारा कौन भूल सकता है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि देश के कोने-कोने से आदिवासी, महिलाओं और युवाओं ने अपने असंख्य तप-त्याग से भारत को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
महात्मा गांधी ने दांडी में नमक सत्याग्रह के द्वारा चुटकी भर नमक उठाकर तोड़ने का कार्य किया। नमक हमारे देश में उसकी कीमत से नहीं आंका जाता है, हमारे यहां नमक का मतलब है ईमानदारी, विश्वास और वफादारी।
उन्होंने कहा कि हम कहते भी हैं कि हमने देश का नमक खाया है। नमक श्रम और समानता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि उस दौर में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा। आज दांडी यात्रा की वर्षगांठ पर हम बापू की इस कर्मस्थली पर इतिहास बनते देख रहे हैं और इतिहास का हिस्सा भी बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत, आजादी का अमृत महोत्सव यानि स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत, आजादी का अमृत महोत्सव यानि नए विचारों का अमृत, नए संकल्पों का अमृत, आजादी का अमृत महोत्सव यानि आत्मनिर्भरता का अमृत।
यह 05 स्तम्भ आजादी की लड़ाई के साथ-साथ आजाद भारत के सपनों और कर्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारे युवा स्कॉलर्स यह जिम्मेदारी उठाएं कि वह हमारे स्वाधीनता सेनानियों के इतिहास लेखन में देश के प्रयासों को पूरा करें। आजादी के आन्दोलन में और उसके बाद हमारे समाज की जो उपलब्धियां रही हैं
उन्हें दुनिया के सामने और प्रखरता से लाएं। उन्होंने कला, साहित्य, नाट्य जगत, फिल्म जगत और डिजिटल इण्टरटेनमेण्ट से जुड़े लोगों से आग्रह किया कि जो अद्वितीय कहानियां हमारे अतीत में बिखरी पड़ी हैं, उन्हें तलाशने और जीवन्त करने की आवश्यकता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि 12 मार्च, 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की आजादी के दीवानों ने सम्पूर्ण स्वाधीनता के लिए आन्दोलन शुरु किया था।
उन्हीं स्मृतियों को ताजा करने के लिए आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा गुजरात के ऐतिहासिक स्थल साबरमती आश्रम से इसका शुभारम्भ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देश की आजादी का यह अमृत महोत्सव पूरे देश में हर्षाेल्लास के साथ आयोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी आज यहां काकोरी शहीद स्मारक के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए 25 वर्ष की उस कार्ययोजना को मूर्तरूप दें,
जिससे आजादी के 100 वर्ष पूर्ण होने पर, वर्ष 2047 में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना साकार हो सके। उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के नायक शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, चन्द्रशेखर आजाद, रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए
कहा कि भारत की जनता के पैसों का इस्तेमाल भारतीयों के दमन के लिये किया जा रहा था। तब आजादी के इन शूरवीरों ने काकोरी की घटना को अंजाम देकर अंग्रेज हुकूमत को चुनौती दी थी। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 12 मार्च, 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की आजादी के दीवानों ने अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल बजाया था।
मुख्यमंत्री जी ने देश की स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले काकोरी की घटना के सभी अमर शहीदों को शत-शत नमन करते हुए कहा कि आज प्रदेश के मेरठ, बलिया, झांसी तथा लखनऊ में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1925 की काकोरी की घटना के महत्वपूर्ण स्थल पर आने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि 04 फरवरी, 1922 को आजादी के आन्दोलन को नयी दिशा देने वाली चौरी चौरा की ऐतिहासिक घटना भी हुई थी।
इस घटना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक चलने वाले चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का शुभारम्भ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर कमलों से किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के आन्दोलन की जितनी भी तिथियां हैं, अगले एक वर्ष के दौरान प्रत्येक घटना की स्मृति में हर शहीद स्मारक पर प्रदेश सरकार के स्तर पर जनसहभागिता के साथ आजादी के ज्ञात व अज्ञात शहीदों के स्मरण हेतु कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह आजादी अचानक नहीं मिली है। आजादी के लिए काफी संघर्ष किया गया है। उस समय की युवा पीढ़ी ने अपना बलिदान दिया। माताओं और बहनों ने आजादी के आन्दोलन से जुड़कर एक नयी दिशा देने का कार्य किया।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0 तथा सूचना मंत्रालय, भारत सरकार के प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो के सहयोग एवं उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार के समन्वय से दाण्डी मार्च, चौरी-चौरा की घटना सहित स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं, वर्ष 1971 के युद्ध व कारगिल युद्ध पर आधारित अभिलेख प्रदर्शनी का उद्घाटन कर अवलोकन किया।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक, सांसद श्री कौशल किशोर, विधायक श्रीमती जय देवी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री मुकेश मेश्राम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।