बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार देरी होना तय हो गया है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि सरकार भी तक चुनाव के लिए जरूरी ईवीएम की व्यवस्था नहीं कर सकी है। पंचायत चुनाव के लिए विशेष किस्म की मल्टीपल पोस्ट ईवीएम का इस्तेमाल होना है। इसके लिए बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच सहमति बन गई है। ऐसी ईवीएम का इस्तेमाल बिहार में पहली बार किसी चुनाव में होगा। इसलिए ऐसी ईवीएम सरकार या चुनाव आयोग के पास पहले से उपलब्ध नहीं है। पहली बार इस्तेमाल के लिए ऐसी ईवीएम की खरीद होनी है।
भारत निर्वाचन आयोग नहीं दे रहा मंजूरी
पंचायत और नगर निकाय जैसे स्थानीय चुनाव को संपन्न कराना राज्य निर्वाचन आयोग का काम है और इसके लिए आयोग ने अपने स्तर से पूरी तरह तैयारी भी कर रखी है। लेकिन, चुनाव के लिए ईवीएम की खरीद से पहले भारत निर्वाचन आयोग की मंजूरी अनिवार्य है। राज्य निर्वाचन आयोग ने मल्टीपल पोस्ट ईवीएम के इस्तेमाल के लिए ईसीआइ को काफी पहले ही प्रस्ताव भेजा है, लेकिन वहां से इस प्रस्ताव को मंजूरी अब तक नहीं मिल पाई है। जब तक ईसीआइ इसके लिए तैयार नहीं होता, इसकी खरीद ही नहीं हो सकती है।
पटना हाईकोर्ट तक जा सकता है मामला
मल्टीपल पोस्ट ईवीएम की खरीद पर ईसीआइ और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच चल रही खींचतान का मामला पटना उच्च न्यायालय तक जा चुका है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना है और सहमति से मसले का समाधान निकालने का संदेश दिया है। अब हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष इस मामले को नहीं सुलझा पाते हैं तो मामले में खुद कोर्ट कोई सख्त फैसला देगा।
मंजूरी मिले या नहीं मिले, देरी होना अब तय
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार ईवीएम के जरिये ही चुनाव कराने का फैसला किया है। ऐसे में अगर ईवीएम के खरीद की अनुमति नहीं मिलती है तो आयोग को अपनी तैयारियों को फिर से दुरुस्त करना होगा। बैलेट पेपर के जरिये चुनाव की तैयारी शुरू करनी होगी। इसमें पर्याप्त देरी होगी। साथ ही चुनाव की प्रस्तावित तिथियों को टालने की नौबत भी आ सकती है। दूसरी तरफ अब अगर ईवीएम खरीद की मंजूरी मिल भी जाती है तो चुनाव में देरी तो होगी ही, क्योंकि नई ईवीएम की खरीद प्रक्रिया पूरी करने में वक्त लगेगा। खरीद पूरी करने के बाद सभी ईवीएम को मतदान प्रक्रिया के लिए तैयार करने में भी वक्त लगेगा।