चीन में चीनी की हुई कमी, भारत से आयात करने की तैयारी
भारत पहली बार चीन को चीनी निर्यात करने जा रहा है. पीएम मोदी ने हाल में अपनी चीन यात्रा के दौरान इसका वादा किया था. भारत 10 से 15 लाख टन चीनी निर्यात की तैयारी कर रहा है. यह सौदा करीब 50 करोड़ डॉलर का हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन के शहर वुहान की अपनी यात्रा के दौरान गत 28 अप्रैल को इस बारे में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत में इसका आश्वासन दिया था.
चीनी, चावल और दवा निर्यात पर जोर
उनकी इस वार्ता के बाद भारतीय चीनी मिलों और निर्यातकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को चीन की प्रमुख सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधियों और खरीदारों से मुलाकात की. इस मुलाकात की व्यवस्था भारतीय दूतावास ने की थी.
जानकारों के मुताबिक चीनी उन तीन प्रमुख चीजों में से है जिनको पीएम मोदी चीन के साथ होने वाले व्यापार घाटे में कमी कर सकने का संभावित माध्यम मानते हैं. चीन से भारत को होने वाला व्यापार घाटा करीब 50 अरब डॉलर का है. इसके अलावा चावल और दवाओं के निर्यात से भी व्यापार घाटे में कमी लाने की उम्मीद की जा रही है. इंडियन सुगर मिल्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट गौरव गोयल ने बताया, ‘करीब 50 करोड़ डॉलर मूल्य के 10 से 15 लाख टन रॉ शुगर के निर्यात का लक्ष्य है.’
चीन में रहती है चीनी की कमी
गौरतलब है कि भारत में इस सीजन में करीब 3.2 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ है और इस साल करीब 70 लाख टन चीनी सरप्लस रह सकती है. चीन दुनिया में चीनी के सबसे बड़े आयातकों में से है. चीन के उपभोक्ता हर साल करीब 1.4 करोड़ टन चीनी का उपभोग करते हैं. दिलचस्प यह है कि चीन में चीनी का उपभोग भारत से बहुत कम है, जबकि वहां की जनसंख्या भारत से ज्यादा है. भारत में हर साल करीब 2.5 करोड़ टन चीनी का उपभोग होता है.
गोयल ने बताया, ‘चीनी के मामले में चीन एक ऐसा बाजार है, जिसका अभी तक भारत ने दोहन नहीं किया है. चीन दुनिया में चीन के सबसे बड़े आयातकों में से है.’
इस बारे में एक समझौता अगर अगस्त तक हुआ तो चीनी का निर्यात इस साल सितंबर से शुरू हो सकता है. भारत अभी 2 लाख टन चीनी का ही निर्यात करता है. लेकिन अगले साल तक इसे बढ़ाकर 50 लाख टन तक करने का लक्ष्य है.