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पर्यटन संस्कृति एवं धमार्थ कार्य मंत्री डाॅ0 नीलकांड तिवारी करेगें

अवध की चित्रकला का भारतीय चित्रकला में विशेष स्थान रहा है। जिसमें गंगा जमुनी तहजीब के आधार पर हिन्दू मुस्लिम दोनों की सहभागिता दिखायी पड़ती है। अवध चित्रकला में फारसी, मुगल, राजपूत तथा यूरोपिय चित्रकला शैली का संयुक्त प्रभाव देखने को मिलता है।

अवध चित्रकला शैली मे विकास के दृष्टिकोण् से दो चरण दृष्टष्य है। प्रथम चरण लगभग 1750-1800 ई0 मंे मुगल एवं राजपूत परम्पराओं से प्रभावित चित्र चित्रित किये गये है, जबकि द्वितीय चरण लगभग 1800-1870 ई0 में यूरोपीय प्रभाव अधिक दिखाई देता है।

अवध कला में तत्कालीन समाज, नवाबों की जीवन शैली एवं दरबार, ऐतिहासिक घटनाओं, हिन्दू पौराणिक कथाओं, तथा सामाजिक घटनाओं का अंकन चित्रों के प्रमुख विषय रहे है। इस काल के चित्रित चित्र विभिन्न संग्रहालयों में संग्रहीत है।

पर्यटन विभाग, संस्कृतिक विभाग, उ0प्र0 एवं संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में वाजिद अली शाह अवध महोत्सव का आयोजन दिनांक 19 मार्च,2021 से 21 मार्च, 2021 तक संगीत नाटक अकादमी, गोमतीनगर, लखनऊ में किया जा रहा है।

प्रदर्शनी का उद्घाटन डाॅ0 नीलकांठ तिवारी, मा0 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति पर्यटन, प्रोटोकाल एवं धर्मार्थ कार्य विभाग, उ0प्र0 के कर-कमलों द्वारा दिनांक 19 मार्च, 2021 को सायं 5ः00 बजे किया गया।

राज्य संग्रहालय, लखनऊ में विशेष रूप से अवध कला की विशिष्ट कलाकृतियों का संग्रह है उनमें से कुछ विशिष्ट चयनित कलाकृतियों के छायाचित्र प्रदर्शनी में प्रदर्शित किये गये है। जिसमें संगीत का आनन्द लेते हुए आसफुद्दौला अंग्रेज रेजीडेन्ट को दावत देते हुए गाजीउद्दीन हैदर, मोहर्रम का जुलूस

आसफुद्दौला अमजद अली शाह, वाजिद अली शाह नवाबों की छवि चित्र (पोट्रेट) विलायती बेगम मेंहदी बेगम के चित्र प्रदर्शित किये गये। प्रदर्शित कलाकृतियों द्वारा अवध की संस्कृति, कला, रहन-सहन शान-शौकत दृष्टव्य होता है।

प्रदर्शनी का उद्देश्य राज्य संग्रहलाय, लखनऊ में संग्रहित लघुचित्रों के माध्यम से अवध की कला, संस्कृति एवं विरासत के अभूतपूर्व संगम को जनमानस तक पहुॅचाना एवं प्रचार-प्रसार करना है।

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