उत्तराखंड की अंडर-19 बालक टीम के फाइनल ट्रायल पर सवाल खड़े होने लगे हैं। ट्रायल में बाहर के खिलाड़ियों को शामिल करने के आरोप लग रहे हैं। साथ ही ओवर-एज खिलाड़ियों की एंट्री से चयन प्रक्रिया सवालों में घिरती नजर आ रही है। इसे लेकर खिलाड़ियों ने टीम के समन्वयक व चयनकर्ताओं के सामने विरोध जताया है।
तनुष क्रिकेट ऐकेडमी में अंडर-19 बालक टीम के फाइनल ट्रायल हुए। इनमें दो खिलाड़ी ऐसे भी पहुंचे, जिनका नाम पहली सूची में नहीं था, लेकिन ऊंची सिफारिश के चलते उन्हें एंट्री दे दी गई। हालांकि, खिलाड़ियों और दूसरी एसोसिएशनों के ऑफिशिल्यस के विरोध के कारण उन्हें बाहर करना पड़ा।
दो दिन तक खिलाड़ी शॉर्टलिस्ट नहीं होने के बाद चयनकर्ताओं ने 40 खिलाड़ी फाइनल ट्रायल के लिए चुने। कुछ खिलाड़ियों का आरोप था कि चुने गए खिलाड़ियों में कुछ ओवर-एज हैं, जिसका पता स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की साइट से लगाया जा सकता है।
साथ ही, चार-पांच खिलाड़ी ऐसे शामिल किए गए, जो दूसरे प्रदेशों के हैं। सूत्रों ने बताया कि सभी एक नामी क्रिकेटर की ऐकेडमी में प्रैक्टिस करते हैं। इनमें से कुछ पर फर्जी दस्तावेज बनाने के भी आरोप लगे हैं। खिलाड़ियों ने उत्तराखंड क्रिकेट कंसेंसस कमेटी के संयोजक प्रो. रत्नाकर शेट्टी को भी मेल कर इसकी शिकायत की है।
स्टेंडबाय खिलाड़ियों के ट्रायल की चर्चा
अंडर-19 बालक वर्ग के फाइनल ट्रायल में स्टेंडबाय खिलाड़ियों का ट्रायल कराने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन ने रुद्रपुर से तीन, काशीपुर से दो और देहरादून से 13 स्टेंडबाय खिलाड़ी चुने थे। फाइनल ट्रायल के लिए 100 खिलाड़ियों को चुनने की घोषणा की गई थी। मगर देहरादून में फाइनल ट्रायल में स्टैंडबाय खिलाडिय़ों को भी मैदान में उतार दिया गया।
बरती गई पूरी पारदर्शिता
अंडर-19 बालक टीम के समन्वयक दिव्य नौटियाल के अनुसार हमने ट्रायल में पूरी पारदर्शिता बरतने के प्रयास किए हैं। खिलाड़ियों के प्रमाण पत्रों की जांच करने की जिम्मेदारी दूसरी एसोसिएशन के ऑफिशियल्स की थी। खिलाड़ियों की शिकायत पर यूसीसीसी के संयोजक से दोबारा किसी प्रोफेशनल व्यक्ति से प्रमाणपत्रों की जांच कराने का आग्रह किया है।