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दिल्ली AIIMS ने वर्चुअल अटॉप्सी करने का लिया फैसला, चीरफाड़ के बिना हो सकेगा पोस्टमॉर्टम

किसी शख्स की एक्सीडेंट से मौत, ख़ुदकुशी या अप्राकृतिक मौत होने के बाद परिवार का दुख तब बढ़ जाता है, जब वे पोस्टमार्टम के बाद अपने स्वजन की देह को देखते हैं. पोस्टमॉर्टम में शरीर की चीरफाड़ होती है. इससे बचने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने जहां भी संभव हो, वर्चुअल अटॉप्सी करने का फैसला लिया है. इस सुविधा का उद्घाटन शनिवार को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने किया है.

वर्चुअल अटॉप्सी में शव को छूए बिना अंदरूनी अंगों, ऊतकों और हड्डियों की जांच शामिल है. इस प्रक्रिया के तहत शव को एक बैग में पैक किया जाता है और सीटी स्कैन मशीन में रखा जाता है. कुछ ही समय में अंदरूनी अंगों की हजारों इमेज कैप्चर की जाती हैं, जिनका विश्लेषण फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा किया जा सकता है. AIIMS में फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि AIIMS यह सुविधा देने वाला दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला अस्पताल होगा. स्विट्जरलैंड, अमेरिका और यूके जैसे विकसित देशों ने चुनिंदा मामलों में पोस्टमार्टम करने के लिए इमेजिंग तकनीक को पहले ही अपना लिया है.

बता दें कि AIIMS में प्रति वर्ष पोस्टमॉर्टम के करीब 3,000 मामले आते हैं. डॉ. गुप्ता ने कहा कि इनमें से 30 से 50 फीसदी मामलों में चीरफाड़ की जरुरत नहीं होती है. इनमें दुर्घटना, फांसी या ख़ुदकुशी के कारण हुई मौतें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि कई मामलों में मौत की वजह पता करने के लिए बॉडी को कट करके ऑपन करने की जरुरत नहीं होती है और एक एक वर्चुअल अटॉप्सी पर्याप्त होती है.

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