दक्षिण कश्मीर में चुनाव कराना सबसे बड़ी चुनौती होगी। यह इलाका आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का मजबूत किला रहा है और सबसे अधिक स्थानीय आतंकी इसी क्षेत्र में हैं। हिजबुल की धमकियां इस इलाके में कई बार असर दिखाती रही हैं।
आतंकी संगठन ने फिलहाल एसपीओ पर नौकरी छोड़ने का दबाव बनाया है और सियासी कार्यकर्ता भी निशाने पर हैं। चुनाव बहिष्कार की अलगाववादियों की अपील को इस बार पीडीपी और नेकां का भी साथ मिल गया है, लिहाजा चुनाव में बड़े पैमाने आम लोगों की भागीदारी की उम्मीद कम दिखती है।
अनंतनाग में सिविल सोसाइटी के कुछ संगठनों की बैठक में भी चुनाव बहिष्कार के लिए माहौल बनाने पर चर्चा हुई है। इन संगठनों के प्रतिनिधि प्रत्याशियों से मिलकर उन्हें नामांकन वापस लेने की सलाह देंगे। चुनाव बहिष्कार अलगाववादियों का पुराना एजेंडा रहा है, लेकिन उनकी अपीलें कई बार फेल हो चुकी हैं। इस बार हालात अलग हैं।
अलगाववादी और पीडीपी-नेकां 35-ए के मुद्दे पर माहौल बनाने की कोशिश में जुटे हैं। दक्षिण कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी की जड़ें भी फैली हुई हैं। पीडीपी का जनाधार भी इस क्षेत्र में दो दशकों से मजबूत रहा है।
प्रत्याशियों पर हो सकते हैं हमले
पीडीपी ने नरम अलगाववाद का चेहरा ओढ़कर अपनी जड़ें फैलाईं। इसमें जमात-ए इस्लामी का साथ मिला। हलांकि भाजपा से गठबंधन के बाद पीडीपी की जनाधार दरक चुका है लेकिन जमात-ए-इस्लामी का वजूद अभी कायम है। लिहाजा चुनाव बहिष्कार के एलान का असर दिख सकता है। हिजबुल मुजाहिदीन ने अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां में भाजपा के कई कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया है। खौफ के कारण कई भाजपा कार्यकर्ताओं को घर छोड़कर श्रीनगर में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा था।
प्रत्याशियों पर हो सकते हैं हमले
दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में आतंकियों की धमकियों के कारण निकाय और पंचायत चुनाव में कुछ इलाकों में प्रत्याशियों का टोटा हो सकता है। पुलिस भी मानती है कि खौफ के कारण प्रत्याशियों की संख्या कम हो सकती है। भाजपा हर स्थान पर प्रत्याशी खड़े करने की रणनीति पर चल रही है। अगर यह रणनीति सफल हुई तो कुछ स्थान पर ऐसे प्रत्याशी निर्विरोध चुने जा सकते हैं।
सुरक्षा बलों की 200 कंपनियां तैनात
चुनाव से पहले ही हालत पर नियंत्रण के लिए सुरक्षा बलों की 200 से अधिक कंपनियों को तैनात किया जा चुका है। इसमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी के जवान शामिल हैं। चुनाव में कुछ कंपनियों की तैनाती संभव है।
पाकिस्तानी आतंकियों का खतरा भी बढ़ा
सुरक्षा बलों को आशंका है कि निकाय और पंचायत चुनाव से पहले पाकिस्तान से घुसपैठ के प्रयास बढ़ेंगे। आतंकी बड़े हमलों से खौफ पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों द्वारा चुनाव में खलल के लिए हमले की आशंका भी बढ़ी है।